सावन के प्रथम दिन से द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक प्रारंभ

Post by: Rohit Nage

  • श्रीदुर्गा नवग्रह मंदिर में सोमनाथ ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक किया गया

इटारसी। जीवन शिव (Shiv) के बिना अधूरा ही नहीं शव है, समान है। शिव ही जगत के अधिष्ठाता हैं। महिला-पुरुष शिव के उपायक होते हैं। यही कारण है कि परिवारों में मंगल और सुख शंाति रहती है। उक्त उद्गार मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे (Pt. Vinod Dubey) ने श्री नवग्रह दुर्गा मंदिर में शिवार्चन के समय व्यक्त किए।

आगामी 12 दिन तक चलने वाले इस आयोजन में बारह ज्योर्तिलिंग का पूजन-अभिषेक होगा। प्रथम दिन सोमनाथ (Somnath) के पार्थिव ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक किया। यजमान नारायण दुन्दभी (Narayan Dundabhi) एवं श्रीमती सेवन्ती दुन्दभी (Smt. Seventi Dundabhi) एवं वर्षा रवि श्रीवास्तव (Varsha Ravi Srivastava) ने पूजन एवं अभिषेक किया। पूरे देश में 12 ज्योर्तिलिंग हैं जिसमें सागर तट पर दो, हिमालय (Himalaya) और अन्य पर्वत क्षेत्रों में चार, नदी किनारे तीन और मैदानी इलाकों में तीन ज्योर्तिलिंग स्थित हैं।

गुजरात (Gujarat) के सौराष्ट्र भू-भाग के वेरावल जनपद के प्रभास ग्राम में संसार भर में प्रसिद्ध सोमनाथ ज्योर्तिलिंग स्थित है। पं. विनोद दुबे ने बताया कि सोमनाथ के मंदिर का घंटा 200 टन सोने का हुआ करता था। मंदिर में हीरे के छप्पन खंबे माणिक रत्न आदि से जुड़े हुए थे। उन्होंने कहा कि भगवान की पूजा और अभिषेक के लिए गंगाजल (Gangajal) प्रतिदिन हरिद्वार (Haridwar), प्रयागराज (Prayagraj), काशी (Kashi) से लाया जाता था।

यहां पर कश्मीर से पूजन के लिए फूल लाये जाते। प्रतिदिन की पूजन के लिए एक हजार ब्राम्हण नियुक्त किये थे। इस सोमनाथ मंदिर के लिए 10 हजार ग्रामों की जागीर भी रहती थी। जिसकी आमदनी से परिसर का खर्च चलता था। प्रमुख आचार्य पं. विनोद दुबे ने कहा कि मोहम्मद गजनवी और खिलती वंश सहित औरंगजेब ने इस मंदिर में काफी तोडफ़ोड़ की। बाद में हिंदू रानी अहिल्या देवी होल्कर ने मंदिर कस जीर्णोद्धार कराया। आचार्य सत्येन्द्र पांडे एवं पीयूष पांडे ने श्रद्धालुओं से अभिषेक संपन्न कराया।

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