पाखंड की समाप्ति ही विज्ञान का हो मुख्य उद्देश्य

पाखंड की समाप्ति ही विज्ञान का हो मुख्य उद्देश्य

  • – अपर मुख्य सचिव वन ने कहा, विज्ञान के साथ वैज्ञानिक सोच ज्यादा महत्वपूर्ण
  • – राजेश पाराशर के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर आयोजित विज्ञान 37 का समापन
  • – अब से नई विज्ञानयात्रा का हुआ शुभारंभ – राजेश पाराशर

इटारसी। पाखंड की समाप्ति ही विज्ञान का समाज के लिये मुख्य उद्देश्य होना चाहिये। वैज्ञानिक जागरूकता को सभी वर्र्गों तक पहुंचाने में विज्ञान 37 जैसे आयोजन प्रमुख भूमिका निभाते हैं। राजेश पाराशर (Rajesh Parashar) ने अपनी सेवाओं को 37 वर्षों तक करने के बाद स्वैचिछक सेवानिवृत्ति को विज्ञान पर्व के रूप में आयोजन किया जो बहुत सराहनीय कदम है।

यह बात मध्यप्रदेश शासन (Madhya Pradesh Government) के अपर मुख्य सचिव वन मंत्रालय जेएन कंसोटिया (JN Kansotiya) ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कही। उत्कृष्ट विद्यालय केसला (School of Excellence Kesla) में आयोजित इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि संभागीय उपायुक्त जेपी यादव (Divisional Deputy Commissioner JP Yadav) ने कहा कि एक आदर्श शिक्षक के रूप में राजेश पाराशर ने न केवल विद्यालय बल्कि जनजातीय वर्ग के अन्य बच्चों के साथ कार्य करते हुये प्रदेश स्तर पर विशिष्ट पहचान बनाई है। इनके कार्यां को प्रदेश स्तर के विभागीय अधिकारियों ने भी सराहा है। शिक्षाविद डॉ आरपी सीठा (Dr RP Seetha) ने कहा कि जबकि जीवन में अगले जन्म की निश्चितता नहीं ह, तब यह आप पर है कि आप कबूतर की तरह नीचे कहीं आवास बनाते हैं, या बाज की तरह ऊंचाई पर रहना पसंद करते हैं। अगर आपके पास अगले दिन का काम है तो इसका मतलब है कि आप रिटायर नहीं हुये हैं।

इटारसी (Itarsi) से आये समाजसेवी सुनील तिवारी (Sunil Tiwari) ने वैज्ञानिक जागरूकता के कार्यों में अपने संसांधन को उपलब्ध कराते हुये इटारसी नगर में इस विज्ञान यात्रा को जारी रखने की बात कही। नगर तथा केसला ग्राम के गणमान्य नागरिक कमल बाजपेयेी ने राजेश पाराशर के विगत तीन दशक में किये कार्यों एवं उनके अनेक विद्यार्थियों की उपलब्धियों को बताते हुये ग्राम की ओर से आभार व्यक्त किया। जनजातीय कार्य विभाग के सहायक संचालक एसएन दुबे (SN Dubey) ने कहा कि राजेश पाराशर द्वारा तीन दशक पूर्व अविष्कार किये रेल टॉयलेट सिस्टम एवं घायलों के लिये एंबुलेंस के स्वचलित रूप से पहुंचने के सिस्टम को याद करते हुये कहा कि आज ये सुविधायें उन्नत रूप में उपयोग में लाई जा रही हैं। यह एक शिक्षक की दूरगामी सोच को बताती है।

इस अवसर पर एक्सीलेंस स्कूल केसला के बच्चों के साथ ही निजी स्कूलों के बच्चों ने देश के अलग अलग राज्यों से आये स्त्रोत वैज्ञानिकों के साथ गतिविधियां की। प्राचार्य एसके सक्सेना (SK Saxena) ने आगे भी विद्यालय के लिये वैज्ञानिक सेवायें देते रहने की बात कही। राजेश पाराशर ने अपने संदेश में कहा कि हमें महात्मा बुद्ध के ढाई हजार साल पहले भारत में दिये संदेश को आज विश्व में हर एक स्थान पर अपनाने के लिये हर शिक्षक को प्रयत्न करते रहना होगा जिसमें हर व्यक्ति को इस बात के लिये तैयार किया जाये कि किसी भी बात को स्वीकार करने से पहले सत्य की कसौटी पर कसें। अगर वो सत्य लगे तो ही स्वीकार करें।

इस वैज्ञानिक सोच से ही हमारा देश और हम आगे बढ़ सकेंगे। इस अवसर पर केसला विद्यालय के साथ ही अन्य संस्थाओं से आये शिक्षकों एवं नागरिकों ने सम्मान किया। संपूर्ण कार्यकम का संचालन राजेश पाराशर के पूर्व छात्र हर्षित बाजपेयी (Harshit Bajpayee) ने किया जिन्हें पूर्व में विज्ञान प्रदर्शनी में नेशनल अवार्ड प्राप्त हो चुका है।

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AUTHORRohit

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