इटारसी। प्रकृति की उपासना के भी अपने तरीके हैं। कोई पर्यावरण दिवस पर पौधरोपण (Plantation) कर अपने प्रकृति प्रेम को केवल वर्ष में एक बार प्रदर्शित करता है तो, कुछ लोग सालभर पौधरोपण करते हैं। हरियाली अमावस्या पर भी लोग बड़ी संख्या में पेड़ लगाकर भूल जाते हैं। हम इन सबसे इतर एक ऐसे पर्यावरण मित्र की बात कर रहे हैं, जो अपने भाई की स्मृति में श्मशान में अपने खर्च से पौधा खरीदकर जाता है, स्वयं उसे रोपता है।
नाम है, पं.भरत शर्मा। पिछले वर्ष कोरोना महामारी में इनके भाई का देहांत हो गया था। वजह थी, ऑक्सीजन की कमी। बस भरत ने ठान लिया कि वे शहर में न सिर्फ हरियाली चाहते हैं बल्कि इतने पेड़ लगाना चाहते हैं कि यहां प्राणपद वायु की कमी न हो। भरत अब तक श्मशान में 7 पौधे रोप चुके हैं और हाल ही में उन्होंने एक नीम का पौधा भी रोपा है। उनका मानना है कि शहर में हरियाली बहुत ज्यादा होनी चाहिए। ऑक्सीजन भी पर्याप्त पौधों से मिलनी चाहिए, ताकि मेरे भाई जैसे और अन्य लोग अकाल मौत ना मरें।
उन्होंने संपूर्ण नगर से अनुरोध किया कि जहां जगह मिले वहां पौधरोपण अवश्य करें और उसकी देखरेख स्वयं करें। पं. भरत शर्मा ने बताया कि वे शांतिधाम हफ्ते में 2 दिन आकर उनके द्वारा लगाए पौधों के रखरखाव एवं उनको दिए जाने वाले पानी के संबंध में देखरेख करते हैं। मंगलवार को जब भरत पौधा लगा रहे थे, उस समय समिति के कार्यकारी सदस्य प्रमोद पगारे वहां मौजूद थे और उन्होंने भरत को विश्वास दिलाया कि उनके द्वारा लगाए प्रत्येक पौधे को वृक्ष बनाया ही जाएगा। भरत ने बताया कि उनका यहां पौधे लाना निरंतर जारी रहेगा। भरत के पिता पोस्ट ऑफिस के पीछे जो हनुमान मंदिर है, वहां पुजारी हैं।