बंद का असर नहीं, लेकिन आंदोलन (Andolan) को मिला समर्थन
इटारसी। शहर में भारत बंद का असर नहीं रहा। अलबत्ता किसानों ने अपनी ताकत दिखाने का पुरजोर प्रयास किया। कुछ संगठनों ने किसानों के इस आंदोलन को समर्थन अवश्य दिया। लेकिन, एक सैंकड़ा किसान भी एकत्र नहीं हो सके। सुबह कुछ देर कांग्रेसी किसानों के साथ घूमे, लेकिन वे पीछे ही रहे। किसानों के इस आंदोलन में कुछ पंजाब के किसान जो अब इस शहर में बसे गये हैं, शामिल हुए तो कुछ संख्या दिखने लगी। बाजार बंद लगभग असफल ही रहा। आमतौर पर शहर का बाजार सुबह 10 से 11 बजे तक खुलता है, आज भी वैसा ही खुला। कुछ दुकानें बंद करायीं। वे भी किसानों के जाते ही खुल गयीं।
क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन (Revolutionary peasant labor organization) ने यहां आंदोलन की कमान संभाल रखी थी। अन्य किसान संगठन, राजनैतिक दलों ने उनको समर्थन दिया था। हर संगठन से दस से बीस लोग शामिल हुए। बावजूद इसके संख्या एक सैंकड़ा के आसपास थी। किसान नेता सामने नहीं आ पा रहे थे। जब कृषि उपज मंडी में किसानों की संख्या कुछ ठीक दिखी तो किसान नेता सामने आये और अपनी बात रखी। यहीं पर एसडीएम को ज्ञापन दिया।
सुबह देर से आये, घूमे बाजार
किसान सुबह देर से निर्धारित स्थल पर पहुंचे। किसान नेता हरपाल सिंह सोलंकी (Farmer leader Harpal Singh Solanki) ने सुबह 8 बजे सभी किसानों को जयस्तंभ चौक पर बुलाया था। लेकिन, दस बजे के बाद कुछ किसान पहुंचे। कुछ कांग्रेसी भी पहुंचे। इसके बाद इन सबने बाजार में घूमकर सुबह जल्दी खुली चाय-पान की दुकानों पर बंद करने का निवेदन किया। हालांकि तब तक बाजार खुलने का वक्त भी नहीं हुआ था। ये लोग बाजार में घूमते रहे। इसके बाद कुछ पंजाब के किसान परिवार सहित आकर आंदोलन में शामिल हुए। इसके बाद किसान कृषि उपज मंडी के गेट पर पहुंचे और नारेबाजी की।
इन संगठनों ने दिया समर्थन
अभा ओबीसी किसान महासभा (Abha OBC Kisan Mahasabha) से हंसराज गालर, अभा मजदूर यूनियन से कन्हैया लाल अहिरवार, अहिरवार समाज संघ, बहुजन समाज पार्टी ने भी समर्थन दिया। कांग्रेस से नगर अध्यक्ष पंकज राठौर, राजकुमार उपाध्याय केलु, राजेन्द्र सिंह तोमर, राकेश चंदेले, नवल पटेल, रामशंकर सोनकर, राहुल दुबे, अमोल उपाध्याय, अजय मिश्रा, दुर्गादास बकोरिया, अमल सरकार, जय जुनानिया, सोनू बकोरिया, सुरेंद्र राठौर, सर्वप्रीत चिम्पू भाटिया, सुरेश मालवीय, राजेन्द्र जोशी, हरि पटेल, सोनू पटेल, मनोज चौधरी, महेन्द्र राय आदि कांग्रेसी किसानों को समर्थन देने पहुंचे थे।
ये बोले किसान
केन्द्र सरकार को हर हाल में तीनों कृषि अध्यादेश वापस लेना होगा। यह काले कानून हैं, जिससे किसानों को फायदा नहीं बल्कि नुकसान होगा। किसानों के हित की बात करने वाले नरेन्द्र मोदी की सरकार हठधर्मिता दिखा रही है।
हरपाल सिंह सोलंकी (Harpal Singh Solanki, District President Revolutionary Kisan Majdar Sangh)
केन्द्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि अध्यादेश वास्तव में काले कानून हैं जो किसानों के नहीं बल्कि बड़े व्यापारियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं। सरकार को इन कानूनों को वापस लेना होगा, अन्यथा किसानों के समर्थन में हम दिल्ली भी जायेंगे।
लीलाधर राजपूत (Liladhar Rajput, National Revolutionary Farmers Labor Union)
हम किसी पार्टी का समर्थन करने के लिए नहीं बल्कि किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए एकत्र हुए हैं। हम किसान परिवार से हैं और केन्द्र सरकार ने जो तीन कृषि बिल पास किये हैं, उनका विरोध करने यहां एकत्र हुए हैं।
सर्वप्रीत (Sarvpreet, member farmer family)
तीनों अध्यादेश वास्तव में काला कानून हैं। दिल्ली में जो हमारे किसान भाई-बहन अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं, हम उनके समर्थन में यहां आंदोलन कर रहे हैं। सरकार को एमएसपी पर स्थिति क्लीयर करनी चाहिए।
हरप्रीत सिंह (Harpreet Singh, young farmer)
बिल को संशोधित कर पारित करे सरकार
भारतीय किसान संघ (Bhartiya Kisan sangh) ने भारत बंद से खुद को अलग तो रखा। लेकिन, संघ का भी मानना है कि बिल में कुछ खामियां हैं। संघ ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि इस बिल को संशोधित करके पारित किया जाए। संघ ने आज केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमन के नाम इस आशय का ज्ञापन एसडीएम एमएस रघुवंशी को सौंपा है। प्रवक्ता रजत दुबे ने बताया कि वर्तमान में जो कृषि अध्यादेश है उनमें कुछ विसंगतियां हैं। भारतीय किसान संघ बिल को समाप्त करने अथवा वापस लेने की मांग नहीं कर रहा है अपितु उसमें कुछ संशोधन करके बिल पारित करनें की मांग कर रहा है। संघ के तहसील अध्यक्ष श्रीराम दुबे ने कहा कि कृषि सुधार विधेयक से छोटे एवं मंझोले किसानों को फायदा होगा। इसमें संशोधन करने की भी आवश्यकता है। इस अवसर पर संघ के जिला उपाध्यक्ष मोरसिंह राजपूत, तहसील उपाध्यक्ष श्यामशरण तिवारी, तहसील मंत्री लीलाधर राजपूत, सरदार यादव, सुभाष साध, जगदीश कुशवाह, राजू तोमर, रामस्वरूप चौरे, मनमोहन साहू, ओपी महालहा, अनोखीलाल लौवंशी, श्याम गालर आदि उपस्थित थे।