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गोली मारकर की थी हत्या, हुआ आजीवन कारावास

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इटारसी। तृतीय अपर सत्र न्यायालय इटारसी (3rd Additional Sessions Court Itarsi) ने आरोपी रामफल राहुल एवं प्रमोद को सुरेश मौर्य की हत्या गोली मारकर कर देने का दोषी पाते हुए तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा एवं दो ₹2000 के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड अदा नहीं किए जाने पर सभी आरोपी गण को तीन-तीन माह का सश्रम कारावास प्रथक से भुगताया जावेगा। अभियोजन कहानी का विवरण अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला ने प्रस्तुत करते हुए बताया कि 10 जून 2012 को शाम 6 बजे प्रार्थी या दुर्गाबाई मौर्य नल पर पानी लेने गई थी, उसी समय उसके जेठ सुरेश मौर्य लाल मोटरसाइकिल से बाजार से घर तरफ आ रहे थे। जैसे ही ग्राम मेहरा गांव में वह रामफल के घर के पास पहुंचे, तभी रामफल ने पुराने झगड़े की बात पर से सुरेश मौर्य को कहा कि तुम रुको। तभी रामफल के घर में से राहुल, प्रमोद एवं पूनम बरखने निकले। पूनम ने अपने हाथ में कट्टे जैसी चीज लेकर बाहर आया और रामपॉल ने सुरेश की मोटरसाइकिल हैंडल हाथ से पकड़ा तथा पूनम ने गोली चला दी जिससे सुरेश की बायीं ओर सीने पर गोली लगी थी। वह गिर पड़ा और उसे सरकारी अस्पताल में डॉक्टर ने परीक्षण उपरांत उसे मृत घोषित कर दिया था। घटना मृतक सुरेश के पुत्र भोला एवं लड़की पूजा ने तथा आसपास वालों ने देखी थी। इस घटना की रिपोर्ट थाना इटारसी में दर्ज की गई थी, जहां अपराध क्रमांक 361 /12 धारा 302 सहपिठत धारा 34 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया था जिसका विचारण तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश संजय कुमार पांडे के द्वारा किया जा कर आरोपियों को दोष सिद्ध करते हुए आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है।
इस प्रकरण में अभियोजन की ओर से 15 गवाहों का परीक्षण कराया गया था तथा 22 दस्तावेजों को प्रदर्शित किया गया। आरोपी रामपाल उसका पुत्र राहुल एवं भतीजा प्रमोद जमानत पर थे जो न्याय निर्णय के समय न्यायालय में उपस्थित थे जिन्हें दोष सिद्धि के पश्चात सजा वारन्ट से जिला जेल होशंगाबाद भेजा गया है । इस प्रकरण का मुख्य आरोपी पूनम बरखने घटना दिनांक से ही फरार बताया गया है। प्रकरण में शासन की ओर से संपूर्ण पैरवी अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला एवं भूरे सिंह भदोरिया के द्वारा की गई है। इस प्रकरण के आरोपी विचारण के दौरान आरोपी रामफल 15 जून 2012 से 12 अक्टूबर 2012 तक तथा आरोपी राहुल 20 नवंबर 2012 से 12 दिसंबर 2012 तक एवं आरोपी गुरु और प्रमोद 20 नवंबर 12 से 12 दिसंबर 12 तक न्यायिक अभिरक्षा में रहे हैं, इसलिए उनकी उक्त निरोध की अवधि को सजा की अवधि में समायोजित किए जाने का आदेश भी न्यायालय द्वारा दिया गया है।

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