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वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा होना चाहिए घर, जानिए सम्‍पूर्ण जानकारी…….

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वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा होना चाहिए घर, घर बनाने से पहले वास्‍तु के बारे मे जरूर जान ले सम्‍पूर्ण जानकारी…….

वास्तु शास्त्र क्या हैं? (What Are Vastu Shastra)

वास्तु शास्त्र

हर इंसान अपने घर को पूरी तहर से वास्तु दोष से दूर रखना चाहता हैं। जिससे कि घर में सुख शांति बनी रहे। वास्तु शास्त्र एक ऐसा भारतीय शास्त्र हैं। जो प्राचीन काल से भारत में अपनाया जा रहा हैं। वास्तुशास्त्र एक ऐसी विधा हैं जो दिशाओं के स्वभाव के अनुसार घर का नक्शा बनाने का सुझाव देती हैं।

ताकि आपके घर का हर एक कोना दिशाओं के अनुकूल बनें और घर का हर कोने में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहें। लेकिन जब वास्तु के अनुसार घर नहीं बनवाया जाता हैं तो घर का जो क्षेत्र दिशा के अनुकूल नहीं होता हैं। वहां नकारात्मकता बढ़ती जाती हैं। इसलिए घर बनाने से पहले हमें वास्‍तु के बारे मे जरूर जान लेना चाहिये।

वास्तु शास्त्र कैसे काम करता हैं? (How Does Vastu Shastra Work)

वास्तु शास्त्र

वास्तु शास्त्र का उपयोग किसी भवन में विशेष मौजूद उर्जाओं का पता लगाने से हैं। हमारे चारों ओर हर वक्त सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार की उर्जायें रहती हैंं। ये उर्जायें स्थान और वातावरण विशेष की ओर आकर्षित होती हैं।

नकारात्मक स्थान अशुभ उर्जाओं और सकारात्मक स्थान शुभ उर्जाओं को अपनी और आकर्षित करता हैं। जब एक घर वास्तु के अनुसार बना होता हैं। तो वह अपने आसपास से गुजर रही सकारात्मक उर्जाओं को अपनी और आकर्षित करता हैं और गृह निवासियों को शुभ परिणाम प्रदान करता हैं।

वास्तु शास्त्र के नकारात्मक प्रभाव (Negative Effects of Vastu Shastra)

वास्तु शास्त्र

  • आर्थिक परेशानियाँ, व्यापारिक घाटा, व्यापार में लागत न निकल पाना, ऋण सम्बन्धी दिक्कतें, आदि।
  • निराशाजनक करियर, निरंतर असफलताएं मिलना, मेहनत का फल ना मिलना।
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं, दीर्घकालीन रोग, दुर्घटनाएं।
  • पारिवारिक झगडे, नकारात्मक माहौल।
  • मानसिक तनाव, अवसाद या डिप्रेशन, अनिद्रा, घबराहट।
  • अनिर्णय की स्थिति।
  • किसी प्रकार के अपराध का शिकार होना।
  • परिवार के किसी सदस्य में किसी प्रकार की आपराधिक प्रवृति उत्पन्न होना।
  • संघर्षपूर्ण जिंदगी।

वास्तु शास्त्र के सकारात्मक लाभ (Positive Benefits of Vastu Shastra)

वास्तु शास्त्र

  • वितीयलाभ, व्यापार में मुनाफा, आर्थिक सम्पन्नता।
  • आकस्मिक धन प्राप्ति।
  • अच्छा स्वास्थ्य, सुरक्षित एवं लाभदायक यात्रायें।
  • खुशहाल पारिवारिक माहौल।
  • बच्चों के करियर के लिए बेहद लाभदायक।
  • रचनात्मक विचारों और नए लाभदायक अवसरों का सृजन।
  • शांतिपूर्ण जीवन आदि।

वास्तु शास्त्र का जीवन में महत्व (Importance of Vastu Shastra In Life)

वास्तु शास्त्र

माना जाता हैं कि वास्तु शास्त्र हमारे जीवन को खुशहाल बनाने एवं हमें नकारात्मक ऊर्जा से दूर सुरक्षित वातावरण में रखता हैं। उत्तर भारत में मान्यता अनुसार वास्तु शास्त्र वैदिक निर्माण विज्ञान हैं। जिसकी नींव भगवान विश्वकर्मा ने रखी हैं। जिसमें वास्तुकला के सिद्धांत और दर्शन सम्मिलित हैं।

जो किसी भवन निर्माण में अत्यधिक महत्व रखते हैं। भूखंड की शुभ-अशुभ दशा का अनुमान वास्तुविद आस पास उपस्थित वस्तुओं को देखकर लगाते हैं। भूखंड किस दिशा की ओर क्या स्थित हैं और उसका भूखंड पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इस बात की जानकारी वास्तु के सिद्धांतों के विश्लेषण से प्राप्त होती हैं।

यदि वास्तु सिद्धांतों व नियमों के अनुरूप भवन निर्माण करवाया जाएं तो भवन में रहने वाले लोगों का जीवन सुखमय होने की संभावना प्रबल हो जाती हैं। प्रत्येक मनुष्य की इच्छा होती हैं कि उसका घर सुंदर, सुखदायी व सकारात्मक ऊर्जा का वास हो। इसलिए आवश्यक हैं। कि भवन वास्तु सिद्धांतों के अनुरूप निर्मित हो और उसमें कोई वास्तु दोष न हो।

यदि घर की दिशाओं में या भूमि में दोष हैं। तो उस पर कितनी भी लागत लगाकर मकान क्यों न खड़ा किया जाए, फिर भी उसमें रहने वाले लोगों का जीवन सुखमय नहीं होगा।

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पौराणिक रहस्य और इतिहास सम्‍पूर्ण जानकारी यह भी देखें……

वास्तु शास्त्र एवं ज्योतिष शास्त्र का संबंध (Relation of Vastu Shastra And Astrology)

वास्तु शास्त्र

वास्तु एवं ज्योतिष शास्त्र दोनों एक-दूसरे के पूरक व अभिन्न अंग हैं। जैसे मानवीय शरीर का अपने अंगों के साथ अटूट संबंध होता हैं। ठीक वैसे ही ज्योतिष शास्त्र का अपनी सभी शाखायें प्रश्न शास्त्र, अंक शास्त्र, वास्तु शास्त्र आदि के साथ अटूट संबंध होता हैं।

ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र के बीच निकटता का कारण यह हैं कि दोनों शास्त्रों का उद्देश्य मानव को प्रगति एवं उन्नति की राह पर अग्रसर एंव सुरक्षा प्रदान कराना हैं। वास्तु सिद्धांत के अनुरूप निर्मित भवन में वास्तु दिशाओं में सही स्थानों पर रखी गई वस्तुओं के परिणाम स्वरूप भवन में रहने वाले लोगों का जीवन शांतिपूर्ण और सुखमय होता हैं। इसलिए भवन निर्माण से पहले किसी वास्तु से परामर्श लेकर वास्तु सिद्धांतों के अनुरूप ही भवन का निर्माण करवाना चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा होना चाहिए घर (According To Vastu Shastra The House Should Be Like This)

वास्तु शास्त्र

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कौन सी दिशा में क्या होना चाहिए। इसका उल्लेख भवन भास्कर और विश्वकर्मा प्रकाश सहित अन्य ग्रंथों में भी मिलता हैं। वास्तु के अनुसार एक आदर्श मकान का मेनगेट सिर्फ पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहिए। वहीं आपके घर का ढलान पूर्व, उत्तर या पूर्व-उत्तर की और होना शुभ माना गया हैं। इस तरह वास्तु के अनुसार घर के कमरे, हॉल, किचन, बाथरुम और बेडरुम एक खास दिशा में होने चाहिए। जिससे घर में वास्तुदोष नहीं होता और लोग सुखी रहते हैं।

पूर्व दिशा (East Direction)

पूर्व दिशा सूर्योंदय की दिशा हैं। इस दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं। यदि घर का मेनगेट इस दिशा में हैं तो बहुत अच्छा हैं। खिड़की भी रख सकते हैं।

पश्चिम दिशा (West Direction)

आपका रसोईघर या टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए। रसोईघर और टॉयलेट पास-पास न हो, इसका भी ध्यान रखें।

उत्तर दिशा (North Direction)

इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए। घर की बालकॉनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए। यदि मेनगेट इस दिशा में हैं और अच्‍छा होगा।

दक्षिण दिशा (South Direction)

दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन, शौचालय आदि नहीं होना चाहिए। घर में इस स्थान पर भारी सामान रखें। यदि इस दिशा में द्वार या खिड़की हैं। तो घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी और ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाएग। इससे घर में क्लेश बढ़ता हैं।

उत्तर-पूर्व दिशा (North-East Direction)

इसे ईशान दिशा भी कहते हैं। यह दिशा जल का स्थान हैं। इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, पूजास्थल आदि होना चाहिए। इस दिशा में मेनगेट का होना बहुत ही अच्छा रहता हैं।

उत्तर-पश्चिम दिशा (North-West Direction)

इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।

दक्षिण-पूर्व दिशा (Southeast Direction)

इसे घर का आग्नेय कोण कहते हैं। यह ‍अग्नि तत्व की दिशा हैं। इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होना चाहिए।

दक्षिण-पश्चिम दिशा (South West Direction)

इस दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिलकुल ही नहीं होना चाहिए। घर के मुखिया का कमरा यहां बना सकते हैं। कैश काउंटर, मशीनें आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं।

घर का आंगन (Home Courtyard)

घर में आंगन नहीं हैं तो घर अधूरा हैं। घर के आगे और पीछे छोटा ही सही, पर आंगन होना चाहिए। आंगन में तुलसी, अनार, जामफल, मीठा या कड़वा नीम, आंवला आदि के अलावा सकारात्मक ऊर्जा देने वाले फूलदार पौधे लगाएं।

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