सुनाये थे कभी जो गीत, अक्सर याद आते हैं ,
वही लम्हे , वही रातें , वो मंज़र याद आते हैं ।
उदासी छा गयी तेरे बिना , पनघट पर है कैसी ,
रखे सिर पे तुम्हारे यार , गागर याद आते हैं ।
सभी कुछ है वही पहले सा , बस तेरे सिवा दिलबर ,
गुज़ारी थीं जहां शामें , सभी दर याद आते हैं ।
चला करते थे हम भी , साथ तेरे ही मेरे हमदम ,
पुराने वो सभी मंज़र , तो अक्सर याद आते हैं ।
हुई थीं आँखें तुम से , जहां पर चार अपनी तो ,
न जाने क्यों शज़र सारे , यहां पर याद आते हैं ।
महेश कुमार सोनी
माखन नगर ।