गजल :  गुल जहां पे खिला नहीं मिलता

Post by: Manju Thakur

 गुल जहां पे खिला नहीं मिलता ।

उस चमन में मज़ा नहीं मिलता ।।

तन्हा  मंज़िल  तलाशना है हमें ,

सबको ही काफ़िला नहीं मिलता ।

जो  हमें  छोड़कर  जहां  से गए ,

उनका  यारब   पता नहीं मिलता ।

जो न  मां-बाप  की करें इज़्ज़त ,

उनसे ज्यादा  गिरा  नहीं मिलता ।

मिट गया देख कर तुम्हें जो फिर ,

दिल में फिर दूसरा नहीं मिलता ।

ग़मज़दा  यार  लग रहे हैं भले ,

आप सा  दिलजला नहीं मिलता ।

बात करते खरी-खरी जो हैं ,

कुछ भी दिल में छिपा नहीं मिलता । 

mahesh soni

महेश कुमार सोनी, माखन नगर

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