यह मशहूर शेर है, नर्मदा पुरम (Narmada Puram) के वरिष्ठ साहित्यकार, और मेरे अग्रज मित्र डॉक्टर बालकृष्ण तिवारी (Dr. Balkrishna Tiwari) का। यह शेर मुझे यकायक याद आ गया। प्रदेश के कर्मठ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) के पिता पूरन चंद्र यादव (Puran Chandra Yadav), (काका साहब) के शिखर को शतक पर अपने सुकर्म की कीर्ति ध्वजा स्थापित कर परम पिता परमेश्वर लोक विदा होने पर। उनके दुखद निधन पर शोक निमग्न सीएम ने जो धार्मिक, आध्यात्मिक चिंतक भी हैं, बहुत शाश्वत बात कही। पावन क्षिप्रा (Kshipra) में पूज्य पिता के अस्थि विसर्जन के पुत्र धर्म को निभाकर मुख्यमंत्री मोहन यादव राम काज सेवाकर्म पर लौट आए। उज्जैन (Ujjain) के एक स्कूल कार्यक्रम में भावुक हो गए और उन्होंने दिवंगत पिता को स्मरण करते कहा शरीर नश्वर है, लेकिन सच्चे अर्थों में आज भी वे उनकी शिक्षा के और आशीष रूप में सदा मेरे साथ हैं।
इसी दुखद प्रसंग पर सहज रूप से अपने श्रद्धा सुमन दिवंगत काका साहब को अर्पित करते हुए कहा नर्मदापुरम के विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा ( MLA Dr. Sitasaran Sharma) ने, मुख्यमंत्री की हृदय से निकली सहज अभिव्यक्ति से पूरी तरह सहमत हूं।, और निवेदन करता हूं, दरअसल हमारे पूज्य दिवंगत माता-पिता शारीरिक रूप से हमसे विदा हो जाते हैं लेकिन सूक्ष्म रूप में हमारे साथ रहते, हम उन्हें अनुभव करते हैं। परमात्मा के ही प्रतिरूप होते हैं, जिस तरह हम ईश्वर को याद करते हैं, वैसे ही उनकी स्मृति विभिन्न शिक्षाओं के रूप में हमें सदा याद रहती है और हम साभार उन्हें प्रणाम करते हैं। उनके आशीर्वाद की सघन छाया अपनी संतति पर, रहती है। इस बात से सहज ही क्षेत्र में शर्मा जी के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी आपसदारी, धर्मकर्म भूमिका याद आ गई। अपने इसी परोपकारी स्वभाव से वे हर दिल अजीज बने हैं।
सर्वधर्म संप्रदाय के प्रति सम्मान और मानवता को उपासक। जनहित में जुड़ा कोई भी प्रश्न हो वे राजनीति से ऊपर उठकर हर स्तर की सहायता करने के लिए कभी पीछे नहीं उठते। अभी हाल ही में नर्मदापुरम एसपीएम में स्थित केंद्रीय विद्यालय की दुरावस्था के प्रति महाप्रबंधक के लापरवाही रवैया की उन्होंने कलेक्टर को शिकायत की। ध्यान देने का आग्रह किया। दूसरा उदाहरण आईटीआई क्षेत्र के तवा कॉलोनी स्कूल में एक पार्षद के निवेदन पर शाला में पहुंच गए वहां की समस्याओं को आत्मीयता से सुना और उनके हल करने के प्रति आश्वस्त किया। वैसे ही कार्य वे करते हुए पार्टी राजनीति परे जाकर जन सेवा का हो तो व्यक्तिगत रूप से भी पीडि़त जनता जनार्दन की सहायता करते हैं।
आर्थिक मदद हो, रोजी रोजगार की समस्या हो अन्य कोई संकट हो वे दौड़े दौड़े उसे व्यक्ति के घर दौड़े चले जाते हैं। भले उनको परिचित न हो। अपने क्षेत्र को वे अपना परिवार मानते हैं। दुख सुख सभी प्रसंग में सहज रूप से मौजूद होना अपना प्रथम कर्तव्य मानते है। अनेक उदारण है। लच्छू भैया दूध वाले पास गांव के कहते हैं। मुझसे बोले अरे पंडित जी पंकज भैया, दादू भैया डॉक्टर साहब की हमारे गांव पर बड़ी कृपा है। वह तो हमारे गांव के पटेल हैं। जब भी दुख तकलीफ की छाया आई, वे दौड़े चले आते हैं। हमारे गांव की नहीं, सभी जगह की उनकी जै स्थित है। त्योहार पर्व शादी विवाह हो, वे आवो नहीं चूकत। हमारे क्षेत्र में बहुत काम बिन ने करे। और कर रहे हैं। अस्पताल को हो, चाहे पुल या वो मौत के बखत का कोविड के समय को, सरकार के साथ अपनी तरफ से भी पीडि़त लोगों की मदद के लिए हमारे भैया जी ने कोर कसर नहीं छोड़ी। आप घूम लो सभई जंगा। हम तो जेई भगवान से विनय करत हैं। वे हमेशा अच्छे रहें।
नर्मदे हर। जय सांई राम महाराज की।
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार, ज्योतिष सलाहकार
भोपाल