ईश्वर को अपने पास अनुभव करते कर्म करना चाहिए

Post by: Rohit Nage

इटारसी। आचार्य सतगुरु शुकदेव मुनि (Shukdev Muni) महाराज ने राजा परीक्षित को समझाया, परम पिता परमात्मा पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर के प्रति अत्यंत श्रद्धा और भक्ति से एकाग्र चित्त होकर नित्य ध्यान, साधना, नाम स्मरण करना चाहिए। प्रत्येक मनुष्य मात्र हमेशा दिनभर और जीवन भर शान्त, प्रसन्न संतुष्ट रहना चाहता है। उक्त उद्गार केसलाखुर्द में यादव परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिवस पं. भगवती प्रसाद तिवारी (Pt. Bhagwati Prasad Tiwari) ने व्यक्त किए।कथा को विस्तार देते हुए पं. तिवारी ने कहा कि सर्व व्यापक ईश्वर को सदैव अपने पास ही अनुभव करते हुए कर्म करना चाहिए। वह कर्म ही पूजा बनकर प्रभु को प्रसन्न कर देता है। एकांत में बैठकर अपने मन के द्वारा भगवान से वार्तालाप किया करो। अपनी मेहनत की रोटी खाओ और भजन, भक्ति सेवा भी करो। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सभी का एक ही है और मूल ग्रंथ वेद ही है। दुनिया में एक ही सत्य है। अनेक सत्य नहीं हो सकता सद्ज्ञान के बाद ही सत्य समझ में आता है। पं. तिवारी ने कहा कि आज गौमाता की दुर्दशा हो रही है, उनके लिए लोगों को काम करना चाहिए। घर में बनने वाली पहली रोट गौ माता को अवश्य खिलानी चाहिए। पं. भगवती प्रसाद तिवारी ने व्यास गादी से धु्रव महाराज के वंश में राजा अंग, पृथु चरित्र, प्रियव्रत और जड़भरत, अजामिल एवं भक्त प्रहलाद, भगवान नरसिंह और हिरण्यकशिपु वध के कथा प्रसंग का आध्यत्मिकता से श्रोताओं को रसपान कराया। इस अवसर पर सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह (Sohagpur MLA Vijaypal Singh) ने कथा स्थल पर पहुंचकर पं. तिवारी का स्वागत किया एवं भागवत कथा का रसपान किया। प्रात:काल कथा स्थल पर योगकक्षा 6 से 7 बजे तक लगाई जा रही है।

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