भाकिसं नहीं देगा 8 दिसंबर के भारत बंद को समर्थन

Post by: Poonam Soni

इटारसी। किसानों के 8 दिसंबर के भारत बंद को भारतीय किसान संघ (Bhartiya kisan sangh) समर्थन नहीं देगा। संघ के जिला मीडिया प्रभारी रजत दुबे ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि अध्यादेशों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ किसान दिल्ली सीमा पर धरना दिए हुए हैं। सरकार और किसान नेताओं (Kisan Leaders) की 5 वें दौर की बातचीत भी निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंची है परंतु कृषि मंत्री ने इन कानूनों में संशोधन करने की सहमति जाहिर की गयी और पुन: 9 दिसंबर को वार्ता के लिए किसान संगठन और सरकार सहमत हुए। यद्यपि किसान नेताओं ने वार्ता में आने की सहमति दी परंतु फिर भी 8 दिसंबर को भारत बंद (Bharat band) करने की घोषणा किसान संगठनों एवं राजनैतिक पार्टियों ने कर दी। देश की जनता यह भी जान चुकी है कि पंजाब राज्य सरकार के द्वारा पारित वैकल्पिक बिलों में केन्द्रीय कानूनों को निरस्त कर 5 जून से पूर्व की स्थिति बहाल करने का प्रावधान किया जा चुका है फिर भी पंजाब के ही किसान नेता बिलों को वापस लेने की मांग पर क्यों अड़े हैं?

भारतीय किसान संघ बिलों को वापस नहीं लेकर, न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी नहीं हो, व्यापारियों से किसान की राशि की गारंटी रहे, पृथक रूप से कृषि संबंधी मामलों हेतु कृषि न्यायालय स्थापित हों एवं अन्य संशोधनों के साथ बिलों को लागू करने की मांग कर रहा है ।क्योंकि संपूर्ण देश में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन करने वाले छोटे-बड़े किसानों के लिए इन बिलों की उपादेयता सिद्ध होती है, इसलिए इन्हें वापस लेने की मांग पर अड़े रहने का समर्थन हम नहीं करते हैं।

यद्यपि अभी तक किसान आंदोलन अनुशासित चला है परंतु ताजा घटनाक्रमों को दृष्टिगत रखते हुए यह कहना उचित नहीं होगा कि विदेशी ताकतें, राष्ट्रदोही तत्व एवं कुछ राजनैतिक दलों का प्रयास किसान आंदोलन को अराजकता की और मोड़ देने में प्रयासरत् है। अंदेशा है कि वर्ष 2017 में हुई मंदसौर की दर्दनाक घटना जैसी पुनरावृत्ति नहीं कर दी जाए जहां 6 किसानों की गोली से मृत्यु हुई, 32 गाडिय़ां जलीं एवं दुकानें अथवा घर जले तथा भारी मात्रा में सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ। उस समय किसानों को जिन लोगों ने हिंसक आंदोलन में झोंका वे नेता तो विधायक अथवा मंत्री बन गए परंतु जो मरे उनके परिवार आज भी पीड़ादायी बर्बादी का दंश झेल रहे है ं। ऐसे आंदोलनों से देश एवं किसानों का ही नुकसान होता है। अत:भारतीय किसान संघ ने 08 दिसंबर के भारत बंद से अलग रहने का निर्णय लिया है।

 

Leave a Comment

error: Content is protected !!