बेवीनार में भारतीय ज्ञान परंपरा एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली को समझाया

Post by: Rohit Nage

इटारसी। एमजीएम कॉलेज (MGM College) में उच्च शिक्षा विभाग के तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार ‘भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न आयाम: आधुनिक संदर्भ में’ विषय पर आयोजित किया। शुभारंभ प्राचार्य एवं मंचासीन अतिथियों ने मां सरस्वती के समक्ष माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया। मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा विभाग से प्रो.डॉ.धीरेन्द्र शुक्ल (Prof. Dr. Dhirendra Shukla) (ओएसडी) विशेष रूप से उपस्थित रहे जिन्होंने विषय की गहनता व विशेषता पर अपने विचार रखे।

संचालक प्रो.मथुरा प्रसाद ने मुख्य संरक्षक के रूप में मार्ग दर्शन प्रदान किया। प्राचार्य एवं संरक्षक डॉ.राकेश मेहता (Dr. Rakesh Mehta) ने अपने स्वागत उद्बोधन में विषय की प्रासंगिकता व स्वस्तिवाचन मंत्र के साथ अपना वक्तव्य की शुरूआत की। भारतीय ज्ञान परंपरा में गुरू शिष्य का महत्व व भारतीय ज्ञान परंपरा एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली को समझाया। मुख्य वक्ता दुर्ग भारती विश्वविद्यालय से जुड़ी विजिटिंग प्रोफेसर डॉ.सुचित्रा शर्मा (Dr. Suchitra Sharma) ने भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हुए ”वसुधैव कुटुम्बकम” का वास्तविक अर्थ को समझाते हुए बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा पर समाज एवं राष्ट्र के विकास के लिए कार्य करना है।

विशिष्ट वक्ता डॉ.रूचिका सिंह (Dr. Ruchika Singh) ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (उप्र) ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा एक भारतीय पद्धति है, जिसमें विवेक को विकसित किया जाता है, और विवेकपूर्ण पद्धति से विकास का कार्य किया जाता है। स्वर्णभस्म, पारसभस्म और भोजन का स्वास्थ्य निर्माण में सहयोगी बताया यह सतत विकास होता है। प्रो.नरेन्द्र मिश्र (Prof. Narendra Mishra) नई दिल्ली ने भारतीय ज्ञान परंपरा के संबंध में इतिहास, अर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र, दर्शनशास्त्र, आध्यात्म तथा वैज्ञानिक उदाहरण देकर इस विषय पर गंभीर चिंतन व्यक्त किया। संचालन डॉ.रश्मि तिवारी (Dr. Rashmi Tiwari), ने आभार प्रदर्शन डॉ.व्ही.के.कृष्णा (Dr. V.K. Krishna) ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. दिनेश कुमार, कु. अंकिता, दीक्षा पटेल, डॉ.अशुतोष मालवीय, डॉ.बस्सा सत्यनारायण, डॉ.दुर्गेश लसगरिया, डॉ.सुसन मनोहर, डॉ.अर्चना शर्मा, डॉ.पीके अग्रवाल, सुशीला बरबड़े, अजीत सिंह सोलंकी, राजेन्द्र कुमार का सहयोग रहा।

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