जागो भारत मां के वीरों छद्म युद्ध की आहट है

Post by: Poonam Soni

पचमढ़ी/होशंगाबाद। नर्मदा आव्हान सेवा समिति ने आजादी का अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) के अंर्तगत कवि समागम, सम्मान समारोह का आयोजन संजय गांधी संस्थान पंचमढ़ी में किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न शहरों से उपस्थित कवियों ने राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत कविता पाठ किया। प्रथम सत्र में कौशल सक्सेना के मुख्यातिथि, पंकज अंगार की अध्यक्षता और वसुंधरा राय, अमित चितवन, दिनेश याज्ञिक की विशेष आतिथ्य में हुआ।
बालाघाट की उमा शिव ने मां वाणी को श्रृंगार दे मां भावना संंवार द, पंक्तियों से शुरुआत की। कौशल सक्सेना ने कहा कि नर्मदा आव्हान सेवा समिति का साहित्य महायज्ञ जारी है। नवोदितों के लिए किये जा प्रयास की सराहना करते उन्होंने नवोदितों को साहित्य के संबंध दिशा निर्देश दिये। अध्यक्षता कर रहे पंकज अंगार ने कहा की ईश्वर से सहस्त्रनाम में एक नाम कवि है। इस नाते कवि सृष्टि में परमात्मा का प्रतिनिधि होता है। कवि की विकास यात्रा का कारक मिलने वाले अवसरों से ज्यादा कवि की अपनी क्षमता है। विशेष अतिथि दिनेश याज्ञिक ने कहा की श्री करैया साहित्य के क्षेत्र में बहुत बड़ा त्याग कर रहे हैं। अमित चितवन ने आयोजन को सराहनीय कार्य बताया। वसुंधरा राय ने भी अपनी बात रखी। कवि सम्मेलन दीपक साहू के कुशल संचालन में प्रारंभ हुआ। कवियों ने एक से बढ़कर एक ओज, हास्य, व्यग्य एवं गीत, गजल की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी।
कौशल सक्सेना ने ‘खीरी जाकर करम करते कश्मीर पर मौन हैं, इनको नेता कैसे कह दें, क्या कह दें ये कौन है? जब अपराधी जाति धर्म की तुला पर उतरने लगते हैं, संविधान की धाराओं के फिर अर्थ बदलने लगते हैं पर खूब वंदेमातरम के नारे लगे। दिनेश याज्ञिक ने जागो भारत मां के वीरो छद्म युद्ध की आहट है। अमित चितवन ग्वालियर ने ‘अंधियारों से मैंने लडऩा सीख लिया, दीपक जैसा मैंने जलना सीख लिया, कोई नहीं दिखलाता रस्ते मंजिल के तन्हा तन्हा मैंने चलना सीख लिया। ललितपुर के पंकज अंगर ‘खुशबू हुए तो सांसों की हम जद में आ गये, आंसू बने तो दर्द की सरहद में आ गये, जबसे हमें मीत तुमने मन का चुन लिया, हम भी तुम्हारे प्यार की संसद में आ गये। शिरीष अग्रवाल हरदा ने जाने कौन उसे अपने पहरों मे ले गया। प्रमोद रघुवंशी ने रखो न किसी को प्यासी रेवा मातु अविनाशी विनती करुं मै सभी ध्याईये मा नर्मदा। पवन सराठे इटारसी ने मेरे हर दर्द की दवा होती है, मेरी मां, अरुण जुगाडू, वसुंधरा राय नागपुर, उमा शिव बालाघाट, प्रमिला किरण इटारसी, कपिल दुबे, मनोज्ञ परसाई, एके तिवारी नजर होशंगाबाद, लोमश गौर, ठाकुर जितेंद्र सिंह, शिवा यादव सहित अनेक कवियों ने काव्य पाठ कर खूब वाहवाही लूटी।
व्दितीय सत्र के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक हरिशंकर जायसवाल, अध्यक्षता चाणक बक्षी, वरिष्ठ साहित्यकार कौशल सक्सेना कैप्टिन करैया की उपस्थिति में 30 कवियों को फूलमालाओं, साहित्यसेवा सम्मान ओर स्मृति चिन्ह प्रदान किया। कैप्टन करैया ने स्वागत भाषण दिया। संचालन तथा आभार अरुण गढ़वाल जुगाडू ने किया।

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