इटारसी। शनिवार से गणेश उत्सव की शुरूआत हुई। सभी ने मुहुर्त के समय विध्नहर्ता की सुंदर सुंदर प्रतिमाओं को अपने घर में विराजमान किया। साथ ही इन्हें ज्ञान का देवता भी कहा जाता है। भगवान गणेश लिखने की कला में महारथी से इसलिए इन्हें ज्ञान के देवता भी कहा जाता है।
बप्पा की दुर्वा से होती है पूजा
भगवान गणेश सभी देवी-देवताओं में ऐसे देव है। जिनकी पूजा में दूर्वा का इस्तेमाल किया जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक समय में अगलासुर नाम का एक राक्षस था। जो ऋषि-मुनियों की तपस्या भंग कर उन्हें जिंदा ही निकल लेता था। राक्षस से परेशान होकर सभी एक दिन विघ्नहर्ता की शरण में पहुंचे। कहा जाता है कि गणपति बप्पा ने उस राक्षस को मारने के लिए उसे खा लिया था। ऐसे में उसे निकल लेने से उनके पेट में तेज जलन होने लगी। तब उनकी जलन को शांत करने के लिए ऋषि कश्यप ने उन्हें दूर्वा अर्पित की। उस दूर्वा को खाकर उसके पेट की जलन शांत हुई और तब से ही गणपति बप्पा को दूर्वा चढ़ाने की प्रथा चली आ रही है।
लिखने की कला में महारथी
भगवान गणेश को ज्ञान का देवता माना जाता है। भगवान गणेश को लिखने की विशेष कला थी। महाभारत लिखने के लिए ऋषि वेदव्यास जी को ऐसे व्यक्ति की जरुरत थी जो बिना रुके ही महाभारत की गाथा एक बार में ही पूरा लिख सके। उस समय इस काम को करने के लिए ऋषि वेदव्यास को भगवान गणेश का साथ मिला।
मूषक वाहन
गणपति बप्पा के वाहन मूषक के पीछे भी एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार गजमुखासुर नामक दैत्य ने अपने बाहुबल से देवताओं को बहुत परेशान कर दिया था। जिसके बाद सभी देवता एकत्रित होकर भगवान गणेश की शरण में पहुंचे। भगवान गणेश ने सभी को असुर से मुक्ति दिलाने का भरोसा दिलाया। ऐसे में युध्द के दौरान गजमुखासुर घबराकर चूहा बनकर भागाए लेकिन गणेशजी ने उसे पकड़ लिया। मृत्यु के भय से वह क्षमायाचना करने लगा। तब श्रीगणेश ने मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया।
गृहस्थ जीवन सुखमय बनाते हैं गणेश जी
गणपति बप्पा को गृहस्थ जीवन के लिए आदर्श देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसे में अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय और खुशहाली भरा बनाएं रखने के लिए रोजाना पूजा घर में दीप जलाकर गणपति बप्पा की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से जीवन की सभी परेशानियों का अंत होता है।
बप्पा को लाल और सिंदूरी रंग है अतिप्रिय
भगवान गणेशजी को लाल और सिंदूरी रंग बहुत प्रिय हैए ऐसे में उन्हें इन्हीं रंगों के फूल चढ़ाने चाहिए। इसके साथ ही गणपति बप्पा को पूर्व दिशा प्रिय है। ऐसे में विघ्नहर्ता को घरों में स्थापित करने के लिए पूर्व दिशा का ही चयन करना चाहिए।
गणेश की पीठ को न देखना
कहा जाता है किए गणेश जी के दर्शन करने के लिए उन्हें हमेशा सामने से ही देखना चाहिए। उनकी पीठ को देखना अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि गणेश जी की पीठ देखने से घर और जीवन में दरिद्रता का वास होता है। ऐसे में पूजा घर पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापति करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इनकी पीठ दीवार के साथ लगी हो।