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झरोखा : स्वयंभू खेड़ापति हनुमानजी…पूरी करते हर कामना

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:पंकज पटेरिया –
पुण्य सलिला मां नर्मदा के तट पर जगदीशपुरा वार्ड में स्थित स्वयंभू खेड़ापति हनुमान जी की आस-पड़ोस के अनेक जिले शहर और गांव कस्बे तक है। यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है। लोग अपनी झोली फैलाये आते हैं, भरी जोड़ी लेकर जाते। कितनों के बिगड़े काम बनते, शादी विवाह होते, कोर्ट कचहरी के मुकदमों से निजात मिलती। बहुत लंबी फेहरिस्त है कामो की, जो स्वयंभू खेड़ापति हनुमान जी की कृपा से पूर्ण हुए।
प्राचीन नर्मदा मंदिर मुख्य अर्चक एवम मंदिर मठ समिति के जिलाध्यक्ष पंडित गोपाल प्रसाद का खड्डर बताते हैं कि मंदिर बहुत प्राचीन है। एक पीपल के पेड़ से हनुमान जी महाराज प्रकट हुए थे बाद में सिद्ध संत बंसीवाले बाबा ने अंजनी कुमार जी की बाकायदा प्राण प्रतिष्ठा कराई। भव्य निर्माण हुआ। यूं तो हर दिन ही धर्मप्राणजन हनुमान जी महाराज के पूजन दर्शन के लिए आते रहते हैं। लेकिन शनिवार और मंगलवार को खासतौर से यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। जो भी लोग मनौती करके जाते हैं, मनौती पूरी होने पर फिर लौटते हैं और हर्षोल्लास के साथ हनुमान जी महाराज पूजा अर्चना चोलादी अर्पण करते है।
जब बंदर अचानक आ गये
नर्मदापुरम के मेरे बहनोई श्री टी पी मिश्रा ( श्री धुनीवाले दादा कुटी) के अनुज कीर्ति शेष रामेश्वर मिश्रा श्रीराम दूत हनुमान जी के अनन्य भक्त थे। वे नियमित खेड़ापति हनुमान जी के दर्शन करने जाते थे और वहां सेवा करते थे। वरिष्ठ व्याख्याता की पद से रिटायर होने के बाद उनका अधिकतम समय हनुमान जी की सेवा में ही व्यतीत होता था। खासतौर से शनिवार, मंगलवार तो वे शयन आरती के बाद वहां के पुजारी दुबे जी के साथ पूरे मंदिर की सफाई धुलाई करके देर रात लौटते थे। अस्वस्थता के चलते उनका निधन हो गया। उनके त्रयोदशी का प्रसंग था पूजन आदि हो गई थी। भोजन प्रसादी की तैयारी चल रही थी। एकाएक उसी समय करीब आधा दर्जन बंदर मिश्र जी के निवास पर आ धमके। वहां पर लोगों ने बताया कि रामेश्वर जी हनुमान जी की बहुत सेवा करते थे, इसीलिए यह बंदर आये है प्रसादी लेने। तुरंत फुरंत परिवार के सदस्यों ने निवास के बगीचे में बाकायदा पत्तल लगाई और हाथ जोड़कर उन बंदरों से भोजन करने का आग्रह किया। मैं साक्षी रहा हूं उस घटना का। मंदिर की पूरी टोली पेड़ों पर उतर आई, सभी ने शांति से प्रेम पूर्वक त्रयोदशी का भोजन किया और विदा हो गए। लोगों ने इस घटना का अलग-अलग अर्थ निकाला। पर खेड़ापति जी की महिमा का गान ही होता रहा।

नर्मदे हर।

pankaj pateriya

पंकज पटेरिया
पत्रकार साहित्यकार
भोपाल
9340244352 ,9407505651

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