झरोखा : लो आया… भुट्टो का मौसम

Post by: Manju Thakur

Jharokha: Life is burning in DJ and firecrackers

: पंकज पटेरिया –
बचपन में हम बच्चे इन पानी वाले दिनों में गिरते पड़ते, ताली बजाते, कूदते, भागते, गाते मोहल्ले भर में घूमते थे। बरसा रानी आई ,ककड़ी भुट्टा लाई। उन दिनो भुट्टे पर बहुत पापुलर एक पहेली भी खासी मशहूर रही है – हरी थी भरी थी, राजा जी के बाग में दुशाला ओढ़े खड़ी थी। बरसात के रेशमी फुहार वाले दिनों में गांव, देहात, शहरों की सड़को या हायवे पर किनारे खड़े ठेलो में सिगड़ी आंच में सिकते भुट्टे किसका ध्यान नहीं खींचते। क्या गरीब, क्या अमीर नींबू , नमक लगे भुट्टे को झपट चटकारे लेना चाहते है।
सदा अपनो के बीच रहने वाले अपने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब परिवार सहित होशंगाबाद रोड से आ रहे थे, तो वे भी अपने को सड़क किनारे खड़े भुट्टे के ठेले पर जाने से रोक नही पाए। लिहाजा परिवार ने तबियत से विथ फैमली भुट्टो का लुत्फ उठाया। भुट्टा कमबख्त का जादू ही ऐसा होता है।

बहरहाल इस साल भुट्टो भी जबरदस्त बाहर आई हुई है। लोग घरों में भुट्टे का किस भुट्टे की कचोरी, पुलाव, पकोड़े अथवा होटलों में चटकारे लेकर खा रहे हैं। भुट्टो का सूप भी खासा लजीज होता है। मित्र लोग बताते हैं इन दिनों अमेरिकन भुट्टे बाजार में धूम मचा रखी है। लेकिन अपने देसी भुट्टे की बात ही और है। चलिए बारिश का मजा लेते हुए हम आप भी भुट्टे को प्यार से किस करें भले ओंठ मुंह और हाथ काले हो जाएं चलेगा ।

नर्मदे हर

pankaj pateriya

पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
9893903003
9340244352

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