झरोखा : एक तमाशा बन गया हूं दुनिया के मेले में…

Post by: Manju Thakur

Jharokha: Life is burning in DJ and firecrackers

: पंकज पटेरिया –
चलो केतली का ढक्कन मां बेटे के हाथों ने खोल दिया और सारी फांप हवा हो गई वरना जीना मुश्किल हो गया था। ठीक नीरज जी के एक फिल्मी गीत के एक पद की तरह, एक तमाशा बन गया हूं दुनिया के मेले में कोई खेले भीड़ में कोई अकेले में। यानी कुछ ऐसी ही मन स्थिति कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की हो गई थी यह खबर भी फायर ऑफ फॉरेस्ट हो गई थी। अखबारों में भी कमलनाथ जी और उनके सांसद बेटे नकुलनाथ के बीजेपी में जाने की चर्चा सुर्खियां ले रही थी। हालांकि यह कहा जा सकता है कि अपनी पार्टी में ही हो रही अपनी अनदेखी और उपेक्षा के चलते उन्होंने ही शायद ऐसा कुछ दिल दिमाग बनाया हो या खालिस एक शौक देने की भी पॉलीटिकल पहल रही हो। यहां यह भी गुटुर होने लगी थी कि वे जहां जाएंगे वहां हम जाएंगे।
हां एक ही दिग्विजय सिंह जी ने जरूर यह कहा था की कमलनाथ जी कहीं नहीं जाएंगे। सुवे की डेकची मे पक रही खिचड़ी में बड़ी खलबली थी। फिर कमलनाथ जी भी खुद कुछ कह नहीं रहे थे। हां बस इस बात के ऐसा कुछ होगा तो मैं खुद बताऊंगा। बहरहाल लंबे समय तक यह एपिसोड खास पुर लुप्त बन गया था। पेपर, टीवी यहां तक की सोशल मीडिया पर भी यह खबर चटकारे लेकर पढ़ी जाती रही। इसके परदे के पीछे जो भी कहानी रही हो शायद प्रदेश मे पार्टी के हारने के बाद गुटबाजी की अंगड़ाई से वे आहत हुए हो। और एक कद्दावर नेता की पीड़ा की अभिव्यक्ति हो। जो भी हो। भाजपा के दिग्गज नेता और केबिनेट मंत्री श्री कैलाश जी विजयवर्गी बोल ही चुके थे कि उनकी हमारी पार्टी में कोई जरूरत नहीं। बहरहाल इस नाटक की समाप्ति हुई। कुछ खुश हुए कुछ गमगीन।
चलते चलते आज यहां मौजू क मशहूर शेर याद आ गया।
बचो इनसे यह दोनों ही सुकूने दिल के दुश्मन है, खुशी को पास आने दो ना गम को पास आने दो।
नर्मदे हर।

pankaj pateriya edited

पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार

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