पंकज पटेरिया –
राजधानी से 100 किलो मीटर दूर भी एक जगन्नाथ जी महाराज जी का अद्भुत मंदिर यहां की सारी व्यवस्था पुरी स्थित विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर जैसी ही है। रथ यात्रा शुभ अवसर पर आयोजित महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
जगन्नाथपुरी स्थित जगन्नाथ धाम की ख्याति पूरे भारतवर्ष विदेशों में भी है। रथ यात्रा के समय देश के सभी प्रांतों के अलावा विदेश से भी श्रद्धालु भक्तजन जगन्नाथ पुरी जगन्नाथ धाम आते हैं।
एक लोकोक्ति जग प्रसिद्ध है जगन्नाथ का भात, जगत पसारे हाथ। जगन्नाथ जी को लगने वाले इस भगवान के भात यानी महाप्रसाद को पाने के लिए जगत हाथ पसारता है। यहा निकलने वाली रथ यात्रा भी बहुत प्रसिद्ध है। रथ के निर्माण की लकड़ी भी विशिष्ट होती है। सारी व्यवस्थाएं पौराणिक काल से चली आ रही है।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह नर्मदापुरम में भी एक 7.50 साल पुराना जगन्नाथ जी का भव्य मंदिर है। जिसमें जगन्नाथ जी बलभद्र जी और और उनकी बहन सुभद्रा जी की प्रतिमा विराजमान है। यहां भी पुरी के धाम की तरह सारे कार्यक्रम होते हैं।
रथ यात्रा निकलती है रामसखी भी आती हैं। जगन्नाथ जी नगर भ्रमण करते हैं। अस्वस्थ भी होते हैं, उनका उपचार भी होता है। परहेज भी किया जाता है और हल्का भोजन बीमारी के दौरान वैद्यजी द्वारा दिया जाता है।
यहां पहले सुदर्शन दीक्षित जी वैध रूप में भगवान का उपचार करते थे। अब पंडित गोपाल प्रसाद खड्डर वैध रूप में बीमारी के दौरान जगन्नाथ जी को हल्का भोजन उपचार आदि देते हैं। स्वस्थ होने के बाद जगन्नाथ जी का स्नान कराया जाता है और वह नगर भवन भी करते हैं। उड़ीसा स्थित जगन्नाथ पुरी का मंदिर अद्भुत है । ऐसा ही १००किलो मीटर दूर स्थित ग्राम मनोरा जिला विदिशा ग्यारसपुर तहसील में भी श्री जगन्नाथ जी महाराज का मंदिर स्थित है। जिसका निर्माण भी 400 साल पहले हुआ था। जिसे बाद मे रघुबंशी समाज के कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति ने जीर्णोधार करवाया था।
मंदिर में बैठे पुजारी ने बताया कि यहां भी सारी पूजा-अर्चना और कार्यक्रम जगन्नाथ पुरी स्थित जगन्नाथ धाम की तरह होते हैं। बहरहाल तहसील ग्यारसपुर एक ऐतिहासिक स्थान है। यहां अनेक पौराणिक स्मारक स्तंभ आदि भी है। पुरातत्व की दृष्टि से ग्यारसपुर बेहद महत्वपूर्ण स्थान है।
जगन्नाथ रथ यात्रा के अवसर पर आसपास के गांव, देहात के अलावा पड़ोसी ज़िले और राजधानी भोपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने पंहुचे। उमड़े जनसेलाव की नियंत्रण करने के लिए प्रशासन शानदार व्यवस्था की थी। लेकिन भीषण गर्मी आदि की वजह लोग परेशान भी हुए, महोत्सव निर्विघ्न संपन्न हुआ।
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
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