जो उफ़ भी निकले तो
समझना कि विश्वास झूठा है
फीकी पड़े मुस्कुराहट तो
कह देना प्रेम झूठा है,
हां सच है कि कई बार
टीस सी चुभन सही नहीं जाती
पर जो आह भी निकले तो
कह देना समर्पण झूठा है
हमेशा रिक्त-सा एकाकी
यह मन और बसे हुए तुम
निकलूं कभी तुमसे तो
कह देना कि इंतजार झूठा है
मीनाक्षी श्रीवास्तव
‘निर्मल स्नेह’
खपोली
(महाराष्ट्र)