कविता: सफर में…

Post by: Poonam Soni

चलते चलते हम रुक गए सफर में।
लेकिन ज़िंदगी चलती रही सफर में।

मुसाफ़िर हूं अभी तो कुछ दिन गुज़रे
मुझे तो पूरी जिंदगी बितानी सफर में।

कदम कदम पर नही मुस्कान मिली
हर गली पहेलियों सी मिली सफर में।

धूप मिली छाव मिली अजनबियों
से भी पुरानी पहचान मिली सफर में।

मोड़ कई आये लेक़िन हर मोड़ पर
मंज़िल गुमनाम मिली सफर में।

rajesh malviya

राजेश मालवीया
ग्राम– भीलाखेड़ी इटारसी, होशंगाबाद (म.प्र.)

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