- सावन सोमवार को हजारों की संख्या में पहुंचते हैं शिव के भक्त
- तिलक सिंदूर में चल रहे हैं अनेक धार्मिक कार्यक्रम और भंडारा
- नर्मदापुरम से नर्मदा जल लाकर हो रहा है शिव का जलाभिषेक
- रोज तिलक सिंदूर मंदिर में जलाभिषेक करने जा रहे कांवडय़ात्री
इटारसी। सावन मास (Sawan month) में हजारों श्रद्धालु तिलक सिंदूर (Tilak Sindoor) जा रहे हैं, यहां अनेक धार्मिक कार्यक्रम चल रहे हैं, गुफा मंदिर में स्थित शिवलिंग (Shivling) पर पावन नर्मदा (Narmada) के जल से अभिषेक किया जा रहा है। सावन मास में अब तक दो सौ से अधिक कांवड़ यात्राएं पहुंच चुकी हैं, रामसत्ता चल रही, भागवत कथा चल रही है, भंडारे चल रहे, कल-कल बहती हंस गंगा नदी बम-बम बाबा कलिकानंद (Baba Kalikananda) की यादें ताजा करती है।
सावन मास में हजारों की संख्या में जब श्रद्धालु तिलक सिंदूर के दर्शन करते हैं। पूर्व मंत्री स्वर्गीय सरताज सिंह (Sartaj Singh) ने मध्य प्रदेश शासन (Madhya Pradesh Government) में मंत्री रहते हुए तिलक सिंदूर का जो कायाकल्प किया वह सदियों तक याद रखा जाएगा। तिलक सिंदूर तक सडक़ बनाना, बड़े-बड़े बगीचे बनाना, बड़े-बड़े शेड एवं भगवान भोलेनाथ की विशाल प्रतिभा स्वर्गीय सत्ता सिंह के कार्यों की गवाही देता है। राजेश वर्मा मुन्ना भट्टी (Rajesh Verma Munna Bhatti) के सहयोग से सरताज सिंह ने तिलक सिंदूर में कई कार्य कराए। सावन मास के पुनीत अवसर पर इटारसी (Itarsi) के नजदीक पचमढ़ी (Pachmarhi) के बाद नर्मदापुरम (Narmadapuram) का यह प्रमुख तीर्थ क्षेत्र है, जहां पर भगवान भोलेनाथ (Lord Bholenath) भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
समृद्ध इतिहास है यहां का
आपने विश्व में भगवान शिव के कई मंदिर देखे होंगे, जिसमें भगवान की शिवलिंग अलग-अलग प्रकार की होगी। लेकिन तिलक सिंदूर जैसे विशेष मंदिर का इतिहास अपने आप में समृद्ध है। यह मंदिर सतपुड़ा की हरीभरी वादियों के बीच पहाड़ पर स्थित है। नर्मदापुरम जिले से लगभग 38 किलोमीटर दूर तिलक सिंदूर के नाम से यह शिवालय प्रसिद्ध है। यहां खास बात तो यह है कि विश्व में यह एक मात्र शिवलिंग है, जहां भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस शिवलिंग के दर्शन करने सावन और महाशिवरात्रि के दौरान यहां लाखों की संख्या में भक्ति पहुंचते हैं।
शिवलिंग पर चढ़ता है सिंदूर
महाशिवरात्रि और सावन के समय में यहां शिवलिंग को सिंदूर से अभिषेक कर उनका श्रृंगार किया जाता है, इसलिए इसे तिलक सिंदूर कहते हैं। यहां वर्षों तपस्या करने वाले ब्रह्मलीन कलिकानंद बम-बम बाबा के अनुसार यह शिवलिंग ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Temple) का समकालीन शिवलिंग है, यहां शिवलिंग पर बनी जिलहरी का आकार चतुष्कोणीय है, जबकि सामान्य तौर पर जलहरी त्रिकोणात्मक होती है। ओंकारेश्वर महादेव की तरह यहां का जल पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होती है। इस तिलक सिंदूर मंदिर का संबंध गोंड जनजाति से है, यहां आदिवासी पूजा अर्चना के दौरान सिंदूर का ही प्रयोग करते हैं, ये शिव को बड़ा देव के नाम से पूजते हैं।
इटारसी के निकट है तिलक सिंदूर
मध्य प्रदेश के इटारसी तहसील के जमानी गांव से लगभग 9 किलोमीटर दूर एक वन ग्राम खटामा अंतर्गत स्थित है तिलक सिंदूर मंदिर, जिसे एक चट्टान को काटकर गुफानुमा मंदिर बनाया है। मंदिर परिसर तक जाने के लिए सीढिय़ां हैं। सावन (श्रावण) के शुभ महीने के साथ-साथ महाशिवरात्रि के दौरान यहां भक्त आते हैं। यहां हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर एक विशाल मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से मशहूर हस्तियों सहित सभी लोग आते थे। इनकी पूजा सतपुड़ा पर्वत की आदिवासी आबादी द्वारा की जाती है, जिन्हें ‘बड़ा देव’ या बड़े भगवान के नाम से जाना जाता है। इस गुफा पर्वत मंदिर के पूरे परिसर की देखभाल अभी भी आदिवासी सेवा समिति द्वारा की जाती है।