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मिट्टी और वनस्पतियों का किसी ढलान पर से नीचे की ओर खिसकना भूस्खलन

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होशंगाबाद। चट्टान मिट्टी और वनस्पतियों का किसी ढ़लान पर से नीचे की ओर खिसकना भूस्खलन कहलाता है। इसे रोका तो नहीं जा सकता लेकिन इससे होने वाली हानियों से बचा जा सकता है। यह बात महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. कामिनी जैन (Principal Dr. Kamini jain) ने कही। आपदा प्रबंधन कार्यक्रम के तहत प्रतिमाह होने वाले कार्यक्रम की अंतिम कड़ी के रूप में बुधवार को ’’भूस्खलन और इससे बचाव विषय पर व्याख्यान आयोजित किए गए। छात्राओं को संबोधित करते हुए डाॅ. जैन ने कहा कि भूस्खलन एक चटृटान से लेकर अकेले टुकडे और मलबे बडे तूफान के रूप में हो सकता है। इससे भारी मात्रा में मलबा कई किलोमीटर तक फैल सकता है। हमारे देश में पहाड़ी क्षेत्रों में यह घटनाएं अक्सर बरसात के मौसम में घटित होती है। इससे जनधन की हानि होती है। भूस्खलन कई कारणों से हो सकता है। जैसे पेडो और वनस्पतियों को साफ करना, सडको के गहरे कटाव पानी के पाइपों का रिसाव आदि प्रकृति घटना भी हो सकती है और मानव निर्मित भी हो सकती है। इस दौरान काॅलेज के शिक्षक व छात्रांए मौजूद रहीं।

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