रविवार, सितम्बर 8, 2024

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विपिन जोशी की परंपरा के गीतकार …

इटारसी के संदर्भ में जब भी हिंदी साहित्य में कविता की बात होगी तो स्व कवि विपिन जोशी से शुरू होकर विपिन जी पर ही खत्म हो जाएगी । … क्योंकि उनके देहावसान के बाद इटारसी में कोई भी कवि इतना समर्थ नहीं हुआ जो उनके रिक्त स्थान की भरपाई कर पाता । न तो हिंदी साहित्य में और न ही कवि सम्मेलन के मंचों पर । गीतकारों में नत्थूसिंह चौहान, चाँदमल चाँद , बद्रीप्रसाद वर्मा तो अब रहे नहीं । अन्य गीतकारों में गिरीश सिलारपुरिया , माखन मालवीय का नाम जरूर लिया जा सकता है । काफी दिन हुए वे भी अब इटारसी छोड़ चुके हैं । हां, दिनेश द्विवेदी, डॉ श्रीराम निवारिया का उल्लेख अवश्य किया जाएगा मगर वे भी न तो गीतकार हैं और न ही उन्होंने कवि सम्मेलनों के मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है ।
गीतों के राजकुमार विपिन जोशी की बात ही कुछ अलग थी । राष्ट्रीय कवि ‘एक भारतीय आत्मा’ स्व माखनलाल चतुर्वेदी स्वयं विपिन जी की प्रशंसा करते नहीं थकते थे । ऐसा नहीं है कि इटारसी से कविता लुप्त हो गई है। अभी भी इटारसी में लिखने – पढ़ने वालों की कमी नहीं है । सर्वश्री टी आर चोलकर , रामवल्लभ गुप्त , साज़िद सिरोंजवी , प्रवीण शर्मा , बी के पटेल , राजेन्द्र मालवीय , मोहन झलिया , सुनील जनोरिया , रामकिशोर नाविक , डॉ सतीश शमी , मदन तन्हाई , नीरज चौधरी नीर , रूपेन्द्र गौर , विनोद दुबे ‘बिंदु’ , नर्मदाप्रसाद मालवीय , कमल पटेल कमल , राजेन्द्र रावत , मिलिन्द रौंघे , ब्रजमोहन सिंह सोलंकी , राजेश व्यास , मनीष पाराशर , संजीव श्रीवास्तव , सतीश पाराशर , विकास उपाध्याय , गुलाब भूमरकर , अविनेश चंद्रवंशी, तरुण तिवारी तरु, विनय चौरे, मोहम्मद आफ़ाक, हनीफ खान आदि निरन्तर लिख भी रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलनों के मंचों पर अपनी दमदार उपस्थिति भी दर्ज करा रहे हैं । एक अच्छी बात ये है कि उपरोक्त कवियों ने कभी कविता से समझौता नहीं किया । यही वजह है कि उनकी कविताओं में न तो फूहड़ता है, न ही अश्लीलता है । सबसे बड़ी बात यह कि बुरी आदतों से भी इन सबने दूरी बनाकर रखी । हालांकि कवियों की इस फेहरिस्त में कुछ अपवाद भी हैं पर नहीं के बराबर।
खैर । इस सबके बावजूद इटारसी में कविता का भविष्य उज्ज्वल है । काश् कि विपिन जोशी के कविता संग्रह ‘साधना के स्वर’ के स्तर का कविता संग्रह इनमें से किसी कवि के माध्यम से सामने आता । तब कम से कम मुझे तो बेहद खुशी होती ।

vinod kushwah


विनोद कुशवाहा
एल आई जी / 85
न्यास कॉलोनी

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