शुक्रवार, जुलाई 5, 2024

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प्रदर्शनी देखकर जानिये कि आपकी सेना कितनी मजबूत है

सीपीई में लगी प्रदर्शनी में पहुंचे विधायक, कलेक्टर और एसपी

इटारसी। केन्द्रीय परीक्षण संस्थान के साहनी स्टेडियम में लगी रक्षा प्रदर्शनी में आज कलेक्टर, एसपी सहित अन्य प्रमुख अधिकारी और मीडिया ने पहुंचकर रक्षा उत्पाद देखे और उनके विषय में जानकारी प्राप्त की। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत और सीपीई के स्वर्ण जयंती वर्ष में लगी इस प्रदर्शनी में बोफोर्स तोप सहित अन्य अनेक उपकरण लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहे हैं।
आज प्रदर्शनी में विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा (MLA Dr. Sitasaran Sharma), कलेक्टर नीरज कुमार सिंह (Collector Neeraj Kumar Singh), मेजर जनरल एसएस राजन (Major General SS Rajan), एसपी गुरुकरण सिंह(SP Gurukaran Singh), पावरग्रिड के जीएम दिनेश कुमार नायर (Dinesh Kumar Nair, GM of POWERGRID), एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी (SDM Madan Singh Raghuvanshi) सहित स्कूलों के प्रिंसिपल और विद्यार्थी भी पहुंचे थे।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय परीक्षण संस्थान इटारसी एशिया का सबसे बड़ा परीक्षण संस्थान है जो तकनीकि परीक्षण द्वारा देश की सेवा में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। करीब छह दशक पूर्व 1962 में भारत और चीन के युद्ध के बाद देश में स्वदेशी रक्षा आयुध उद्योग के विकास के दृष्टिगत, प्रूफ फाइरिंग रेंज की आवश्यकता महसूस की गई थी। इसी के अंतर्गत मध्य भारत में प्रूफ रेंज के लिए मुख्य विकल्प मिला और 18 नवंबर 1972 को तत्कालीन रक्षा उत्पादन मंत्री विद्याचरण शुक्ल (Defense Production Minister Vidya Charan Shukla) की अध्यक्षता में सीपीई इटारसी की स्थापना की गई।

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यहां यह परीक्षण होते
यह प्रतिष्ठान आयुध निर्माण बोर्ड/रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम/सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम/निजी संस्थान/पूर्व आयात द्वारा निर्मित लार्ज कैलिबर गोला-बारूद/शस्त्र और आयुध भंडार के गतिशील परीक्षण, डिफेक्ट इनवेस्टिगेशन, सेल्फ लाइफ एक्सटेंशन और डेवलपमेंट ट्रायल को पूर्ण करने के लिए उत्तरदायी है। वर्तमान में इस संस्थान में अत्याधुनिक शस्त्र जैसे के-9, टी-90 टैंक, धनुष गन, सारंग गन एवं पोखरण में पिनाका रॉकेट के सफल परीक्षण किया जा रहा है।

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बोफोर्स बनी आकर्षण का केन्द्र
बोफोर्स एक स्वीडिस गन है जिसे स्वीडन की 155 बोफोर्स कंपनी ने बनाया है। यह वही गन है जिसने कारगिल युद्ध में 16000 फुट की ऊंचाई में पाकिस्तानी सेना को परास्त करने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसकी मारक क्षमता 30 किमी है। बोफोर्स एफएच 77 पर ही आधारित डिजाइन पर अब इंडिया में धनुष गन का निर्माण गन कैरेज फैक्ट्री जबलपुर में किया जा रहा है।

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