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अब आश्वासन नहीं राजस्व गांव और रोड चाहिए, तभी मिलेगा वोट

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  • – केसला ब्लॉक के टोलों में रहने वालों की प्रशासन और नेताओं को दो टूक

रीतेश राठौर, केसला/ इटारसी। आदिवासी विकासखंड केसला (Tribal Development Block Kesla) के टोला कलारीपट एवं अन्य तीन-चार गांवों में रहने वाले ग्रामीण इस वर्ष विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने का पक्का मन बना चुके हैं। विगत पांच वर्ष से कुछ अधिकारियों का कोरा आश्वासन वर्तमान अधिकारियों की अधिक से अधिक मतदान कराने की मंशा पर पानी फेरने के लिए काफी है। इस बार मंगलवार को जनसुनवाई में मिला दो टूक जवाब ग्रामीणों के गुस्से को बढ़ाने में आग में घी का काम कर गया। नाराज ग्रामीणों ने गांव में रैली निकाली और साफ कर दिया कि अब आश्वासन से काम नहीं चलेगा बल्कि गांव और रोड चाहिए, तभी वोट दिया जाएगा। प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों से बातचीत हुई और वे मान भी गये हैं, जबकि शनिवार को ही कलारीपट (Kalaripatta) के ग्रामवासियों ने गांवों में रैली निकालकर मांगों के समर्थन में नारेबाजी की और उसी रोड (Road) पर कुछ देर धरना भी दिया है।

दरअसल, विगत पांच वर्ष पूर्व 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कलारी पटबंदी (Kalari Patbandi), पुरानी बंदी (Purani Bandi), पीपलपुरा (Pipalpura) सहित अन्य टोलों में रहने वाले ग्रामीणों ने विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने का ऐलान किया था। तत्कालीन केसला जनपद सीईओ (Kesla Janpad CEO) और अतिरिक्त तहसीलदार (Additional Tehsildar) ने ग्रामीणों से मिलकर उनको आश्वस्त किया था कि जल्द ही उनके गांवों को आपस में जोडऩे और मुख्य मार्ग से जोडऩे रोड बनायी जाएगी और टोलों को राजस्व गांवों में तब्दील करके ग्राम पंचायत घोषित कराने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। यह आश्वासन पर पांच वर्ष में एक पहल तक नहीं हुई और अब ग्रामीण आश्वासनों से मानने के मूड में कतई नहीं हैं। वे सिर्फ काम चाहते हैं, तभी वोट डालेंगे।

गांव में निकाली रैली, दी चेतावनी

  • मंगलवार को ये ग्रामीण जनसुनवाई में अपना आवेदन लेकर नर्मदापुरम (Narmadapuram) पहुंचे थे। उन्होंने वहां अधिकारियों को आवेदन दिया और पीड़ा भी जाहिर की। ग्रामीणों को कहना है कि उनको वहां से दो टूक जवाब मिला कि जल्द ही आचार संहित लग जाएगी और आपकी मांगों को पूरा करना फिलहाल संभव नहीं है। इसके बाद ये सभी वापस अपने गांव आ गये। शनिवार को इन लोगों ने गांव में ही रैली निकाली और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की।

चार टोले-मजरों को गांव बनायें

  • सन् 1971 में प्रूफ रेंज से विस्थापित करके ग्राम ढालामऊ (Village Dhalamau) को कलारीपट में भेज दिया था। यहां तीन गांव पुरानी बंदी, पीपलपुरा और रैलसपाठा (Railaspatha) टोले पहले से मौजूद थे। अब कलारीपट से प्रारंभ हुआ यह जागरुकता अभियान इन तीन टोलों में भी पहुंच गया है और सभी चारों मंजरे-टोलों के निवासी अपने टोलों को राजस्व ग्राम में बदलने की मांग और गांवों को पास में रोड से जोड़कर मुख्य मार्ग से जोडऩे और रोड नहीं तो वोट नहीं के साथ गांव बनाने की मांग कर रहे हैं।

इनका कहना है…

हम एसडीओपी, केसला टीआई, जनपद अध्यक्ष ग्रामीणों से मिलने गये थे, उनको वास्तविकता बतायी है, वे समझ गये हैं। दरअसल, जिला पंचायत सीईओ ने रोड का बजट करीब 56 लाख का राज्य शासन के पास भेजा है, वहां से बजट मंजूर होने पर ही हम कुछ कर सकते हैं, चुनाव से पहले यह हो जाएगा, ऐसा आश्वासन कैसे दे सकते हैं। रही बात ग्राम घोषित करने की तो इसका प्रस्ताव बनाकर कार्यवाही प्रारंभ कर दी है, आज भी टीएल बैठक में इसे नोट कराया गया है।

नीता कोरी, एसडीएम इटारसी

ये बोले ग्रामीण

हमें रोड चाहिए ताकि हमारा आवागमन सुलभ हो सके। टोला है, इसे राजस्व ग्राम और ग्राम पंचायत घोषित किया जाए ताकि हम विकास की दौड़ में आ सकें।

बदामीलाल दमाड़े, ग्रामीण

हमें 2018 में आश्वासन देकर हमसे मतदान करा लिया, इसके बाद अधिकारियों ने हमारी तरफ मुड़कर भी नहीं देखा। अब हम आश्वासन नहीं काम चाहते हैं।

सुनीता बाई, ग्रामीण

इस बार हम आश्वासन पर भरोसा करने वाले नहीं हैं। अधिकारियों और नेताओं को हमारी मांग मानकर काम प्रारंभ कराना होगा, तभी हम मतदान करेंगे, अन्यथा नहीं।

रामदुलारे, ग्रामीण

वर्तमान में गांव ग्राम पंचायत भरगदा का टोला है, यहां रोड नहीं है, अधिकारी आएं, हमारी परेशानी देखें, समस्याओं का निदान करें, हम चुनाव बहिष्कार के अपने निर्णय पर अडिग हैं।

कन्हैया दामड़े, ग्रामीण युवा

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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