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जल्दबाजी का एक फैसला, तीन बस स्टैंड और हालात बेकाबू

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इटारसी। प्रशासन का एक फैसला, ट्रैफिक के हालात बेकाबू कर गया। यह फैसला भी जल्दबाजी में लिया गया था। इस एक फैसले ने शहर को तीन बस स्टैंड दे दिये, विरोध, मायूसी, मजबूरी, लूट, मनमानी का आलम यह है कि यात्री असहाय हो गये। खासकर रोज यात्रा करने वालों के लिए यह फैसला सबसे अधिक पीड़ादायक हो रहा है। पहले बिना किसी सूचना के अचानक दोपहर बाद बस स्टैंड बंद कर देना।

यात्रियों को मानसिक रूप से फैसले को आत्मसात करने तक का वक्त नहीं देना, फिर दूसरे दिन से ओवरब्रिज तक जाने की पीड़ा ने परेशानी और बढ़ा दी। काम पर देर से पहुंचने की मजबूरी, आटो चालकों की ज्यादा किराया लेने की मनमानी, कुछ व्यापारियों के विरोध के बाद गणतंत्र दिवस का समारोह खत्म होने के दूसरे दिन पुरानी जगह पर ही पांच मिनट का स्टॉपेज, वह भी केवल लोकल बसों का। कोई खास राहत नहीं दे रहा है।

दरअसल, यह फैसला कि केवल लोकल बस ही आएगी नर्मदापुरम, केसला औऱ आस पास के गांव की। भोपाल, बैतूल और हरदा की बस नहीं आयेगी, बेहद अव्यवहारिक है। शहर की बड़ी आबादी भोपाल, नर्मदापुरम, बुधनी, बैतूल, शाहपुर, भौंरा, सिवनी, बानापुरा बस से उप डाउन करती है। इनमें महिला, पुरुष के साथ उनके कुछ बच्चे भी रहते हैं। इनको दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ये ओवरब्रिज पर जाना उनके लिए पीड़ादायक है। ओवरब्रिज पर भी बसें दस मिनट से आधा घंटे तक रुक रही हैं। यानी यहां एक अघोषित बस स्टैंड बन गया है, जो न सिर्फ ट्रैफिक व्यवस्था बिगाड़ रहा है, बल्कि आमजन की जान को भी जोखिम में डाल रहा है। क्या होगा यदि ये बसें जो भोपाल-बैतूल की हैं, 5 मिनट पुराने बस स्टैंड पर रुकें? नागपुर, इंदौर जैसी लंबी दूरी की बसें भले ही पुरानी इटारसी के नये बस स्टैंड से जाएं।

हालांकि प्रशासन का यह फैसला न सिर्फ अव्यवहारिक है, बल्कि आमजन की तकलीफें ही बढ़ा रहा है। ओवरब्रिज पर दिनभर अव्यवस्था फैली रहती है, नये बस स्टैंड पर बसें अपेक्षाकृत कम ही पहुंच रही हैं, पुराने बस स्टैंड पर पांच मिनट का नियम लागू तो हो गया, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है। बस चालक दस से पंद्रह मिनट और आधा घंटे तक रुककर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

उधर पुरानी इटारसी के नए बस स्टैंड पर पानी के अभाव में यात्री परेशान होते हुए नजर आ रहे हैं, बस स्टैंड पर लगे नलकूप से पानी केवल सुलभ शौचालय को जा रहा है या फिर अंडरग्राउंड पाइप लाइन के माध्यम से वार्ड में पहुंच रहा है। बस स्टैंड पर किसी प्रकार की जल व्यवस्था नगर पालिका परिषद के द्वारा नहीं की गई, फिलहाल टिकट घर के ऊपर नगर पालिका ने टंकी जरूर लगवाइ है, लेकिन वर्तमान में टंकी में किसी प्रकार का कनेक्शन नहीं होने और टंकी खाली होने से यात्री परेशान होते हुए नजर आ रहे हैं।

कुल जमा स्थिति बेकाबू ही है, क्योंकि प्रशासन ने आदेश जारी करने के बाद कभी इसकी समीक्षा नहीं की है। राजस्व, पुलिस और नगर पालिका प्रशासन में इस विषय पर पूरी तरह से तालमेल का अभाव है। शेष, परेशानी से आमजन बेजार है, और कोई इससे निजात दिलाने वाला दिखाई नहीं देता।

इनका कहना है…

ओवरब्रिज पर बसें खड़ी होती हैं, तो उनको वहां से हटाया जाएगा। हम ट्रैफिक अमले को वहां लगाएंगे ताकि वहां आटो रिक्शा या बसें ज्यादा देर खड़ी न हों, सवारी उतारकर चली जाएं।

गौरव बुंदेला, टीआई

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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