इटारसी। रेलवे स्टेशन पर आज फिर एक बड़ी लापरवाही सुरक्षा कर्मियों की देखने को मिली। इससे भी बढ़कर स्टेशन प्रबंधक (station manager) ने लापरवाही भरा कदम उठा लिया, जिसकी रेलवे स्टेशन पर मौजूद यात्रियों ने निंदा की है। दरअसल, आज इटारसी रेलवे स्टेशन (Railway Station) के प्लेटफार्म क्रमांक 5 पर दानापुर उदना एक्सप्रेस के कोच क्रमांक 5 से एक यात्री चलती ट्रेन में चढऩे प्रयास करते हुए नीचे गिर गया। घटना के तुरंत बाद अन्य यात्रियों ने ट्रेन की जंजीर खींचकर रोक दिया। जब ट्रेन रुक गयी तो वहां मौजूद आरपीएफ (RPF) के जवानों ने डिप्टी एसएस को सूचना दी। लेकिन किसी ने उस यात्री को ट्रेन से निकालने का प्रयास नहीं किया। सभी उसे झांककर देखते रहे। वहां मौजूद कुछ लोगों ने वीडियो बनाया और वीडियो में बताया कि यात्री टे्रन के नीचे ही पड़ा रहा और प्रबंधन ने ट्रेन को झंडी देकर रवाना कर दिया। इसके बाद यात्री को प्लेटफार्म पर उठाकर डाक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने यात्री को मृत घोषित कर दिया। मामले में आरपीएफ की सब इंस्पेक्टर निधि चौकसे (Sub Inspector Nidhi Choksey) से जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि हमें केवल इतनी जानकारी है कि हमने डिप्टी एसएस को सूचना कर दी थी, यात्री को निकालकर डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने उसे मृत घोषित कर दिया।
बिना निकाले ट्रेन कैसे चला दी
बड़ा सवाल यह है कि यदि प्लेटफार्म पर मौजूद लोग वीडियो बना रहे थे और यह स्पष्ट कह रहे थे कि यात्री ट्रेक पर ही गिरा है और ट्रेन को आगे बढ़ा दिया है, तो आखिरकार प्रबंधन ने ट्रेन को आगे कैसे बढ़ाया? क्या बिना डाक्टस के जांचे, प्रबंधन ने यात्री को मृत मान लिया था? उसे ट्रेन को रवाना करने से पहले निकाला क्यों नहीं गया? क्या यदि कोई यात्री ट्रेन के नीचे आकर मृत भी हो जाए तो प्लेटफार्म से ट्रेन उसके शव के ऊपर से रवाना करना मानवता के दायरे में आता है? सवाल तो हैं, लेकिन जवाबदार कोई नहीं। स्टेशन अधीक्षक अवकाश पर हैं, उन्होंने कहा, बिना जानकारी वे कुछ नहीं कह सकते। विषय जांच का है, और जांच होना भी चाहिए।