परसेवरेंस स्पेसक्राफ्ट (Perceiver spacecraft) की लैंडिंग प्रक्रिया को समझाया राजेश पाराशर ने
इटारसी। नासा (Nasa) द्वारा मंगल (Mangal) की यात्रा पर भेजा गया रोवर परसेवरेंस (Rover perseverance) अपने मुकाम पर पहुंचने को तैयार है। स्पेस्क्राफ्ट की 47 करोड़ किमी से अधिक की यात्रा के बाद अब केवल लगभग 4 करोड़ किमी की यात्रा बाकी रह गई है और यह वर्तमान में लगभग 20 हजार किमी प्रतिघंटा के वेग से अपने लक्ष्य पर जा रहा है। मार्समिशन की लैंडिग प्रक्रिया को आमलोगों को समझाने विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर (Science teacher Rajesh Parashar) ने इटारसी में मॉडल प्रदर्शनी लगाई। पाराशर ने बताया कि स्पेस्क्राफ्ट के उतरने के समय एंटी, डीसेंन्ट और लेंडिंग की प्रक्रिया होगी। उतरते समय सुपरसोनिक पैराशूट की मदद से वेग को धीमे किया जायेगा और ऑटो गाईडेड लैडिंग होगी। उन्होंने बताया कि 1000 किग्रा वजन के परसेवेरेन्स के परिष्कृत वैज्ञानिक उपकरण न केवल जीवाष्म सूक्ष्मजीवों का पता लगाने में मदद करेंगे बल्कि मंगल के भू-विज्ञान इसके अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में हमारा ज्ञान बढ़ायेंगे। यह वहां कार्बन डाईआक्साईड से ऑक्सीजन भी तैयार करने का परीक्षण करेगा।
पाराशर ने जानकारी दी कि इसे नासा द्वारा 30 जुलाई 2020 को एटलस वी 541 रॉकेट की मदद से केप केनवेराल एअर फोर्स स्टेशन फलोरिडा से भेजा था। मार्स पर लैंडिंग बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। इसमें अब तक सफलता की दर केवल 40 प्रतिशत रही है। यह नासा का पांचवा रोवर है जो मार्स पर लैंडिग का प्रयास करेगा। प्रदर्शनी में एमएस नरवरिया के साथ कैलाश पटैल ने सहयोग किया।
मिशन का नाम – मार्स 2020
रोवर का नाम- परसेवेरेन्स
मुख्य कार्य- मंगल पर जीवाणुओं की उपस्थिति जलवायु और जियोलॉजी का अध्ययन करेगा।
लांच दिनांक- 30 जुलाई 2020
लैंडिंग दिनांक- 18 फरवरी 2021 की रात्रि
लैंडिंग साईट- जेजेरो क्रेटर