तुम आओ
क़रीब हमारे
और
मुस्कुरा दो
तो …
इससे अच्छा
क्या होगा
नज़ारा कोई ?
हम कह दें
अपना हर ग़म
तुम थाम लो
धीरे से
हाथ हमारा
तो …
इससे ज्यादा
क्या सुकून देगा कोई ?
काग़ज़ पर
लिख कर
न हो इज़हार
बस लिख दो
हमारी हथेली पर
तुम नाम अपना
तो …
इससे अच्छा
क्या होगा
सफ़हा कोई ?
अहद – ए – वफ़ा कर
जिन्दगी की
हर कश्मकश को
ख़त्म कर दो तुम
तो …
हमसे ज्यादा
मुतमइन न होगा कोई .
- अदिति टंडन
आगरा ( उ प्र ) .