(पंकज पटेरिया) :
पुण्य सलिला मां नर्मदा जी के अनन्य उपासक महान समाजसेवी शिक्षाविद और राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त अधिवक्ता पं. रामलाल शर्मा (Pandit Ramlal Sharma) जिन्हें उनके परिवार सदस्य सहित लोग प्रेम सम्मान से कक्का जी कहते थे। उन्हें विदा हुए चार दशक से ऊपर हो गए। लगता ही नहीं कि वे हमारे बीच में नहीं हैं, बल्कि नगर की धड़कनों में बसे हंै। उन्हें आपदा विपदा अथवा किसी सभा-समारोह के आते ही वे शहर की यादों में आ जाते। ऐसा लगता है, शाम के वक्त आज भी लक्ष्मी विलास के बगीचे वाले बड़े हॉल में बैठे लोगों से उनके हालत अहवाल जान रहे हैं, समस्याओं परेशानियों के निदान सुझा रहे हैं।
नगर में पत्रकार बनकर मैं जैसे ही आया, घर के लोगों ने कहा था, नर्मदा मैया के प्रणाम करके कक्का जी से जरूर मिलना। मैं उनसे समाजसेवी और सदाचार संस्था के अध्यक्ष पं. हरिहर व्यास और गोयल मास्टर के साथ दर्शन कर आशीर्वाद लेने पहुंचा था। अपना परिचय दिया। वह बोले थे, अरे वाह! अच्छे परिवार के बच्चे हो पत्रकार बन कर आए हो, इस रास्ते में अच्छाई-बुराई दोनों हैं। बुराई से बचो अच्छे से काम करते रहो। नर्मदा मैया तुम्हें सदा आशीर्वाद देंगी। यहां आने पर कुछ वर्षों तक अपने बहनोई साहित्यकार तेजेश्वर मिश्र के यहां रहा। तब कक्का जी के व्यक्तित्व कृतित्व के बारे में पता लगा कि वह समाजसेवा, शिक्षा, धर्म-अध्यात्म के क्षेत्र में महान काम कर रहे हैं। एक तरह से नर्मदापुरम में तालीम का दीप उन्होंने ही प्रज्वलित किया था, नर्मदा महाविद्यालय की स्थापना कर। शाला के क्षेत्र में भी सदर मुकाम में एसएनजी स्कूल का निर्माण कर गांव-गांव देहात में स्कूलों का निर्माण किया। धर्म अध्यात्म के क्षेत्र में अनेक मंदिर-मठों के जीर्णोद्धार करवाए, सत्संग भवन का निर्माण कराया, जहां आज भी वर्षभर संत महात्मा आते हैं और अपने पावन पुण्य वचनों की अमृत्व वृष्टि कर धर्म प्राण जनों को परितृप्त करते हैं। उनकी स्मृति में हर वर्ष यहां ज्ञान भक्ति का अद्भुत सत्र इन्हीं दिनों में चलता है। इस वर्ष यह 15 मार्च से आयोजित हो रहा है। संस्कारवान पुत्र उनकी यश कीर्ति में जनहित कार्य कर श्री वृद्धि कर रहे हैं।
श्री रामलीला महोत्सव कक्का जी ने ही शुरू कराया था, जो आज भी होता है। अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी उनके परिवारजन आज भी करते हैं। साहित्य-संस्कृति के संरक्षक सदा से वे रहे, वही परंपरा परिवार द्वारा निभाई जा रही है। सच्चे कर्मयोगी थे। मुझे संस्मरण विख्यात संत लक्ष्मण दास जी महंत ने सुनाया था। एक बार ब्रह्मलीन महान संत करपात्री जी महाराज जी 3 बजे रात को नगर पधारे। उन्हें शीघ्र अन्यत्र कहीं जाना था, लिहाजा वे कक्का जी से आनन-फानन मिलना चाहते थे। उनके विद्यार्थी महंत जी को लेकर वे कक्का जी के निवास पर पहुंचे, तब उन्होंने पाया कक्का जी स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा पाठ की तैयारी कर रहे हैं। बहुत प्रसन्न हुए और अपनी चर्चा कर आगे के लिए प्रस्थान कर गए। हमारे विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा उनके छोटे पुत्र हैं। उन्होंने बताया था, पिताजी के साथ ही पूज्य माता जी भी अत्यंत धर्म प्राण थी। वे डाक्टर साहब और अन्य बेटों को मां नर्मदा जी में दुग्ध अर्पण करने के लिए प्रेरित करती थीं। वर्ष 30-31 की रात आई नर्मदा जी की प्रलयंकारी बाढ़ के समय भी उन्होंने जनता की सहायता के लिए आगे आकर हर तरह की पीडि़तों की सेवा की थी। पत्रकारिता करते हुए मेरी रिपोर्ट फीचर आदि की वह मुक्त हृदय से प्रशंसा कर आशीर्वाद देते थे। मुझे सौभाग्य से आज भी उनके परिवार से वही स्नेह संरक्षण मिलता है। पिछले दिनों भोपाल में मैं गंभीर रूप से बीमार हो गया था, अस्पताल में भर्ती रहा। डॉक्टर सीतासरन शर्मा जी व्यस्त कामों के बीच से समय निकाल मुझे देखने आए थे। मुससे कहा था नर्मदा मैया की कृपा आप पर है, आपकी पुण्याई आपके साथ है, आप सदा अच्छे रहेंगे। कक्का जी की स्मृति को शत शत प्रणाम।
पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
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