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पेपर की लुगदी और मेथी पाउडर से बने पेपर मेसी से बनाया पपेट फेस

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रॉड पपेट की तैयारियां भी हुईं शुरू

कार्यशाला में दूसरे पहुंचे 10 नए प्रतिभागी

होशंगाबाद। लोक संचार (Public communication) के साधनों से विज्ञान प्रसार (Science spread) के लिए जिले में चल रही पांच दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने कठपुतली (Puppet) का चेहरा (पपेट फेस) बनाना सीखा। पपेट फेस (Puppet face) बनने के लिए अखबार की कतरनों का इस्तेमाल किया गया। कतरनों को दिन दिनों तक पानी में भिगोकर रखा गया। कतरनों को पीसकर इनकी लुग्दी (पेपर मैसी) बनाई गई। पेपर मैसी (Paper Massey) से पपेट के चेहरे को आकार दिया गया। पपेट के चेहरे पर मजबूती और चमक के लिए पेपर मैसी में मैथी पावडर (Methi powder) का इस्तेमाल किया गया।
कार्यशाला की आयोजक सर्च एंड रिसर्च डवलपमेंट सोसायटी (Search and Research Development Society) की अध्यक्ष डॉ. मोनिका जैन ने बताया कि कार्यशाला में शामिल प्रतिभागियों को 10-10 के ग्रुप में बांटा गया है। सभी ग्रुप में एक-एक लीडर भी है, प्रशिक्षक द्वारा टीम को दिए गए टास्क की मॉनीटरिंग और अपनी टीम के सदस्यों को सहयोग करते हैं। सभी ग्रुप्स में अलग-अलग तरह के प्रतिभागी हैं, ताकि उनमें सभी में कॉर्डीनेशन बनाकर वे एक-दूसरे के काम को पूरा करने में मदद कर रहे हैं। कठपुतली प्रशिक्षक जीतेन्द्र भटनागर (Puppet instructor Jeetendra Bhatnagar) के मार्गदर्शन सभी प्रतिभागी पूरे उत्साह के साथ कठपुतली बनाना सीख रहे हैं। पेपर मैसी को पीसकर उसमें मैथी पावडर मिक्स करने तक के सभी काम प्रतिभागियों ने खुद किए। प्रशिक्षण कार्यशाल में कठपुतली बनाना और इसके जरिए विज्ञान की बात आम लोगों से करने की विद्या सीखना, प्रतिभागियों के लिए यह एक नया और रोमांचक अनुभव है।

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ग्लब्स (globs)और ड्रेस (Dress)भी बनाई
कार्यशाला में आज प्रतिभागियों को ग्लब्स पपेट (globs puppet) के ग्लब्स और ड्रेस बनाना भी सिखाया गया। ग्लब्स और ड्रेस बनाने के लिए आवश्यक सामान सोसायटी द्वारा ही उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही आज प्रतिभागियों को रॉड पपेट के बारे में बेसिक जानकारी भी दी गई।

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साइंस कम्युनिकेशन (Science Communication) के लिए क्यों जरूरी है पपेट
दूसरे दिन की कार्यशाला की शुरूआत में 40 मिनट का सत्र साइंस कम्युनिकेशन की बारीकियों और कठपुतली के महत्ता पर हुआ। सर्च एंड रिसर्च डवलपमेंट सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. मोनिका जैन ने बताया ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों में रहने वाले आम जन के साथ के साथ किए जाने वाले प्रभावी संवाद पर चर्चा की। इन क्षेत्रों में कठपुतली के माध्यम से संवाद के महत्व को बताया गया।

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