- – श्रीराम विवाह के साथ नि:शुल्क सामूहिक विवाह भी हुए
- – श्रीराम की बारात में इटारसी के हजारों नागरिक बने बाराती
इटारसी। श्री पंचमी के शुभ मुहूर्त में श्री राम विवाह एवं नि:शुल्क सामूहिक विवाह संपन्न हुआ। श्री देवल मंदिर को जनकपुरी के रूप में दुल्हन की तरह सजाया गया था, यहां भगवान राम और सभी वर-वधुओं का पाणिग्रहण संस्कार कराया गया। विवाह से पूर्व श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर से राजा राम और सभी दूल्हों की बारात निकाली गई। करीब 3 किमी लंबी बारात में पूरा शहर इस अनूठे विवाह का साक्षी बना।
सजे धजे घोड़ों का नृत्य, कदम-कदम पर तोरण द्वार से पुष्पवर्षा करते हुए बारातियों की अगवानी, रामसखियों का मंगल गीत पर थिरकना और अखाड़ा प्रदर्शन से लेकर कई तरह के अनूठे प्रदर्शन इस बरात की शोभा बढ़ा रहे थे। एक सजी-धजी बग्गी में भगवान श्री राम, लक्ष्मण समेत चारों भाई दूल्हों की तरह संवरकर बारात में आकर्षण का केन्द्र रहे। भगवान श्री राम दरबार की अनूठी झांकी बरात में सजाई गई थी। ढोल ढमाकों और डीजे की धुन पर बरातियों का जगह-जगह स्वागत हुआ। बारात इतनी लंबी थी कि हाइवे पर वाहनों के पहिए थम गए। बारात निकासी से पूर्व मंदिर समिति ने सभी दूल्हों का तिलक किया। भगवान राम को दूल्हे के रूप में बग्गी में बैठाया गया। जनकपुरी पहुंचने पर बरात का स्वागत किया।
अगवानी के बाद सभी वर-वधुओं ने सात जीवन साथ निभाने का संकल्प लेकर मंडप में फेरे लिए। हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। मंच से साधु संतों के प्रवचन हुए। माता सीता का वरण कर भगवान श्री राम ने उन्हें अपना जीवन संगिनी मानकर हाथ थामा। सामाजिक समरसता एवं सनातन धर्म की रक्षा को लेकर श्री देवल मंदिर काली समिति द्वारा पिछले 39 सालों से आयोजित श्री राम विवाह एवं नि:शुल्क सामूहिक विवाह का आयोजन कर रही है। इस वर्ष 36 जोड़ों का विवाह समिति ने कराया है। इनरव्हील क्लब ने सभी जोड़ों को उपहार भेंट किए।
समिति हर साल यह आयोजन कर रही है, अब तक 2500 से ज्यादा विवाह संपन्न कराए जा चुके हैं। साल 1984 में पहली बार राम विवाह एक जोड़े के साथ शुरू हुआ था। सेवादार जयप्रकाश करिया पटेल ने बताया कि देवल मंदिर के महंत ब्रह्मलीन दामोदर दास और सहारनपुर के महंत ब्रह्मलीन सुंदरदास जी रामायणी की प्रेरणा से साल 1984 में पहली बार राम विवाह एक जोड़े से शुरू हुआ, पहली बारात रामजानकी छोटा मंदिर से निकाली गई थी। दो साल सिर्फ राम विवाह हुए, इसके बाद साधु-संतों की पहल पर एक जोड़े से सामूहिक विवाह की शुरुआत हुई।
इस भव्य आयोजन में चित्रकूट, अयोध्या, वृंदावन, ऋषिकेश, ओरछा, सहारनपुर समेत पूरे देश से साधु-संतों, विद्वानों का समागम होता है। पुरानी इटारसी सजी संवरी आयोजन को लेकर एक सप्ताह पूर्व ही धार्मिक अनुष्ठान प्रारंभ हो जाते हैं। ओव्हर ब्रिज से लेकर देवल मंदिर तक पूरे हाइवे पर रंग-बिरंगी झालर सजाई गई, जगह-जगह तोरण द्वार लगाए गए। देश भर से हर साल साधु संत इस कार्यक्रम के लिए आये। रात भर महिलाएं राम विवाह की खुशी में मंगल गीत एवं बधाई गाती रहीं हैं। जनकपुरी में देवी जागरण, संतों के प्रवचन हुए, आज सुबह समापन के साथ विदाई की रस्म पूरी की गई।