---Advertisement---
City Center
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

संकष्टी चतुर्थी व्रत कल : जाने शुभ मुहूर्त, विशेष पूजन विधि और सम्‍पूर्ण जानकारी 2022

By
On:
Follow Us

संकष्टी चतुर्थी व्रत 2022 : जाने शुभ मुहूर्त, विशेष पूजन विधि, व्रत विधि, महत्त्व, व्रत कथा, आरती सम्‍पूर्ण जानकारी

संकष्टी चतुर्थी व्रत 2022 (Sankashti Chaturthi Vrat 2022)

Future images 2 हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने दो चतुर्थी आती हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। हर महीने पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत का हिन्‍दु धर्म मे अधिक महत्‍व होता है। संकष्टी चतुर्थी को संकट चौथ, संकटहरा चतुर्थी और गणेश संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं।

भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश को प्रथम पूजनीय देवता माना जाता है किसी भी शुभ कार्य के लिए सबसे पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है भगवान गणेश संकट मोचन, विघ्नहर्ता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत बहुत फलदायी होता है जो भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत करता हैं उनके जीवन में परेशानियों का अंत हो जाता हैं।

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Auspicious Time)

संकष्टी चतुर्थी

  • इस माह यह व्रत 13 सितंबर 2022, दिन मंगलवार को रखा जाएगा।
  • संकष्टी चतुर्थी तिथि प्रारंभ : 13 सितंबर सुबह 10:37 बजे
  • संकष्टी चतुर्थी तिथि समाप्त : 14 सितंबर सुबह 10:25 बजे

संकष्टी चतुर्थी महत्त्व (Significance of Sankashti Chaturthi)

संकष्टी चतुर्थी

भगवान गणेश सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूज्यनीय हैं। इनके आशीर्वाद के बिना कोई भी काम सफल नहीं होता है। हिन्‍दू धर्म में इस व्रत का अधिक महत्‍व है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश के यह व्रत करने से भक्तों के बिगड़े काम बन जाते हैं। इस दिन जो भी सच्चे मन से भगवान गणेश का व्रत कर पूजा अर्चना करता है, उसके जीवन से सभी दुःख, संकट दूर हो जाते हैं। और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से यश, धन, वैभव की प्राप्ति होती है।

यह भी पढें : मासिक शिवरात्रि व्रत 2022 : जाने विशेष पूजन विधि

संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि (Sankashti Chaturthi Fasting Method)

संकष्टी चतुर्थी

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्‍तों को पूरे दिन उपवास रखना चाहिए।
  • शाम के समय भगवान गणेश की पूजा करके संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा को सुननी चाहिए।
  • संकष्‍टी चतुर्थी के पूजन केे बाद चंद्रमा को देखकर ही भोजन करना चाहिए ऐसा माना जाता है कि बिना चंद्रमा के दर्शन के यह व्रत पूर्ण नहीं होता हैं।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Method)

संकष्टी चतुर्थी

  • संकष्‍टी चतुर्थी व्रत के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्नान कर भगवान गणेश की पूजा कर व्रत की शपथ लेना चाहिए।
  • शाम के समय भगवान गणेश प्रतिमा सथापित करना चाहिए।
  • इसके बाद प्रतिमाओं का दूध और गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए।
  • और कलश पर मेहँदी, रोली, कुमकुम, गुलाल, चावल और नाडा चढ़ाकर पूजन करना चाहिए।
  • इसके बाद व्रत कथा को पढ कर भगवान भगवान गणेश की आरती करके मोदक का भोग लगाना चाहिए।
  • और रात्रि में चंद्रमा के दर्शन कर ही व्रत को खोलना चाहिए।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Sankashti Chaturthi Fasting Story)

संकष्टी चतुर्थी

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती एक बार नदी किनारे बैठे थे, तभी माता पार्वती का चोपड़ खेलने का मन हुआ, परन्‍तु उस समय वहा भगवान शिव और माता पार्वती के अलावा वहां कोई नहीं था, तो खेल में हार जीत का फैसला कौन करेगा यह सोच कर माता पार्वती ने मिट्टी, घास से एक प्रतिमा बनाई और उस प्रतिमा मे जान दी। और उन्होंने उस बालक से बोला कि तुम खेल का फैसला करना।

खेल शुरू हुआ और तीन-चार बार खेलने के बाद हर बार जीत माता पार्वती की हुई, लेकिन भूलवश उस बालक ने भगवान शिव का नाम ले लिया तो माता पार्वती क्रोधित होकर उसे लंगड़ा बना देती है, तो वह बालक उनसे माफ़ी मांगता है, और मुक्‍त होने के लिए उपाय पूछता है तब माता पार्वती उस बालक को बताती है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन यहाँ कुछ कन्यायें गणेश की पूजा करने आती है, तुम उनसे व्रत की पूजा विधि पूछना और इस व्रत को श्रद्धापूर्वक पूर्ण करना।

कुछ समय बाद संकष्टी व्रत के दिन वहां कन्यायें पूजा करने आती है, जिनसे वह बालक व्रत विधि पूछकर व्रत रखता है तभी भगवान गणेेेश उस बालक से प्रसन्‍न होकर दर्शन देकर वरदान मांगने को बोलते है तभी वह बालक अपने माता-पिता, शिव-पार्वती के पास जाने को बोलता है तो गणेश जी तथास्तु बोलकर चले जाते है।

बालक तुरंत भगवान शिव के पास पहुँच जाता है उस समय माता पार्वती शिव से रूठकर कैलाश छोड़ कर चली जाती है शिव उस बालक से श्राप मुक्त कैसे हुआ ये पूछते है वो सब बताता है, तब शिव माता पार्वती को वापस बुलाने के लिए यह व्रत रखते है कुछ समय बाद पार्वती का मन में अचानक से वापस जाने की बात आ जाती है, और वे खुद वापस कैलाश आ जाती है। और वह बालक को ठीक कर देती हैं।

भगवान गणेश आरती (Lord Ganesha Aarti)  

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement

Leave a Comment

error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.