इटारसी। बीते दिनों देश की संसद में जब गृहमंत्री अमित शाह ने संविधान पर हो रही चर्चा के दौरान अपने शुरूआती भाषण में बोलते हुए संविधान निर्माता दलितों, पिछड़ो और वंचितों के सबसे बड़े और देव तुल्य नेता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, उन्होंने कहा कि आजकल अंबेडकर, अंबेडकर करना फैशन बन गया है, इतना नाम भगवान का लेते तो स्वर्ग मिल गया होता, पर सवाल यह है कि देश के गृहमंत्री को अंबेडकर के नाम से घृणा है या अंबेडकर का नाम लेने वालों से या अंबेडकर के बने हुए संविधान से घृणा है?
यह सवाल भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुफरान अंसारी ने यहां जारी एक बयान में किया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान हमने देखा किस तरह भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के नेता संविधान के खिलाफ लगातार टिप्पणियां कर रहे थे। 400 सीट जीतने की महत्वाकांक्षा में कह रहे थे, यदि हम यह लक्ष्य पूरा कर लेंगे तो देश का संविधान ही बदल देंगे, और इसका परिणाम यह हुआ कि 303 से 240 तक सिमट गई, भारतीय जनता पार्टी। जिस राम मंदिर को चुनावी मुद्दा बनाया वहां अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह हार गई क्योंकि वहीं के भाजपा नेता लल्लू सिंह ने संविधान पर टिप्पणी की थी। स्वयं नरेंद्र मोदी चुनाव हारते-हारते बचे।
देशभर में लोकतंत्र को छिन्न भिन्न और संविधान के मूल्य की धज्जियां उड़ाने वाली भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार के नंबर 2 के नेता ने बाबा साहेब के खिलाफ दुस्साहस करके अपने ताबूत में आखिरी कील ठोक दी है, अमित शाह ने वही किया जो सावरकर से लेकर अब तक भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के नेता करते आए हैं। सावरकर ने बाबासाहेब के लिखे संविधान का विरोध किया था। आरएसएस की मंशा संविधान की जगह मनुस्मृति के अंश को लागू करना थी। समय-समय पर भाजपा और आरएसएस ने आरक्षण को खत्म करने की बात की, और आज कांग्रेस नेता, नेता विपक्ष श्री राहुल गांधी जी के द्वारा हाथ में संविधान की पुस्तक को लेकर लगातार देश में आर्थिक राजनीतिक सामाजिक समानता के लिए जातिगत जनगणना कराई जाने की मांग जिससे देश के हर वर्ग को उसकी संख्या के अनुसार न्याय मिल सके।
इस मुद्दे पर घिरी मोदी सरकार के नेताओं की खीज उनके भाषणों में स्पष्ट दिखने लगी है, और अब देश भी देख रहा है भाजपा के नेताओं के विचार अंबेडकर के लिए क्या है, पर भाजपा और आरएसएस कोई बात समझ नहीं होगी कि यह देश हेडगियर गोलवलकर या सावरकर की विचारधारा से नहीं, गांधी, अंबेडकर की विचारधारा से चलता है, अमित शाह को अपने वक्तव्य के लिए देश से माफी मांगनी पड़ेगी।