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शुक्ल, ब्रह्म, शुक्र एवं बुधादित्य योग में शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होगा

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– दुर्गा मां हाथी पर सवार होकर आवेंगी
इटारसी। साल में 4 नवरात्र होते हैं। इनमें चैत्र और अश्विन महीने में प्रकट नवरात्रि होती है, वहीं, माघ और आषाढ़ महीने में आने वाली नवरात्र को गुप्त माना जाता है। आश्विन शुक्ल पक्ष एकम (प्रतिपदा) सोमवार 26 सितंबर को शुक्ल एवं ब्रह्म योग के साथ शुक्र बुधादित्य योग में शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होगा।
मां चामुंडा दरबार भोपाल के पुजारी गुरूजी पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि मातारानी की हाथी पर बैठकर मां दुर्गा आएंंगी। भक्त व्रत रखेंगे अखण्ड ज्योति के साथ ज्वारे बोए जाएंगे। घट स्थापना होगी। घर, मंदिर, दरबारों एवं पंडालों में श्री मातारानी जी की स्थापना पूजा-पाठ के साथ की जावेगी।

गुप्त नवरात्रि 2022 घट स्थापना शुभ मुहूर्त

नवरात्रि शुरू 26 सितंबर 2022 दिन सोमवार कलश स्थापना मुहूर्त – चौघडियानुसार सुबह 06 बजे से 07:30 अमृत सुबह 09:00 से 10: 30 शुभ दिन में 1:30 से 03:00 चर, 3:00 से 14:30 लाभ, 4:30 से 6:00 बजे अमृत, शाम 6:00 से 7=30 चर, रात्रि 10:30 से 12:00 बजे लाभ पूजा के साथ शायन आरती होगी। स्थिर लग्न सुबह 09:49 से 12:06 वृश्चिक, दिन में 3:58 से 5:31 कुंभ, रात्रि 8:42 से 10:41 वृष लग्न उपरोक्त समय में घट स्थापना के साथ पूजा का शुभारंभ करें।

मां के इन रूपों की होती है पूजा: मां कालिका, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमलादेवी।

नवरात्रि में प्रयोग में आने वाली सामग्री : मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप, वस्त्र।
प्रथमं शैलपुत्रीति द्वितीयं ब्रहाचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्। पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रिश्च महागौरीति चाष्टमम्। नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:॥

नौ देवियों की पूजा किस तारीख दिन योग में रहेंगी 26 सितंबर से 4 अक्टूबर तक

  • शैलपुत्री : 26 सितंबर सोमवार शुक्ल एवं ब्रहम योग ब्रह्मचारिणी: 27 सितम्बर मंगलवार सर्वार्थ सिद्धि योग। चंद्रघंटा : 28 सितम्बर बुधवार सर्वार्थ सिद्धि योग। कूष्माण्डा : 29 सितम्बर गुरुवार को रवि योग। स्कंदमाता: 30 सितम्बर शुक्रवार रवि योग में पूजा होगी। कात्यानी: अक्टूबर शनिवार रवि योग। कालरात्रि: 2 अक्टूबर रविवार सर्वार्थ सिद्धी योग। महागौरी : 3 अक्टूबर सोमवार रवि योग। महाअष्टमी की पूजा होगी। सिद्धिदात्री : 4 अक्टूबर मंगलवार रवि योग में महानवमी पूजा होगी।

दर्पण, कंघी, कंगन चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि । इस वर्ष अच्छी बारिश ने किसान, व्यापारी और आमजन के चेहरे खिला दिए हैं। फसलों की स्थिति को देखते हुए बीते सालों के मुकाबले ज्यादा उत्पादन की उम्मीद है। प्रदेश के बड़े जलाशय लबालब हैं। यानी इस वर्ष स्थिति बेहतर है। इससे रबी फसलों की सिंचाई में भी आसानी होगी। वर्षा के बाद बाजारों में होगी धन वर्षा।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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