गुजरात में स्थापित श्री नागेश्वर ज्योर्तिलिंग अनूठा और अद्भुत है

Post by: Rohit Nage

इटारसी। सावन मास (Saavan month) के अवसर पर पूरे भारत (India) में भगवान शिव (Lord Shiva) माता पार्वती (Mata Parvati) और उनके नंदी तथा गणेश (Ganesh), कार्तिकेय (Kartikeya) का पूजन होता है लेकिन अभिषेक भगवान शंकर का होता है। वर्षाकाल के चार मास के चर्तुमास में भगवान शिव प्रसन्न दिखाई देते है। उनके गणों, यक्षों, गंधवों, किन्नरों और मनुष्य को सेवा का विशेष फल मिलता है।

उक्त उद्गार पं. विनोद दुबे (Pt. Vinod Dubey) ने श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर (Shri Durga Navagraha Temple) में स्थित श्री नागेश्वर ज्योर्तिलिंग (Shri Nageshwar Jyotirlinga) निर्माण और अभिषेक के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यहां श्री नागनाथ की लिंग मूर्ति छोटे गर्भ गृह में रखी हुई। यहां महादेवी के सामने नंदी नहीं है। गर्भगृह के पीछे नदी का मंदिर अलग से है। श्री नागेश्वर ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक मुख्य यजमान जसवीर सिंह छावड़ा (Jasvir Singh Chhawda) एवं दीपक मनीषा महेरा (Deepak Manisha Mahera) ने किया। इस अवसर पर भारत के चंद्रयान मिशन 3 (Chandrayaan Mission 3) लेंडर विक्रम (Lander Vikram) की चंद्रमा (Moon) पर सफलता पूर्वक लैडिंग के लिए विशेष रूद्राष्टक एवं अभिषेक किया।

नागेश्वर ज्योर्तिलिंग के संदर्भ में पं. विनोद दुबे ने कहा कि दक्ष प्रजापति ने अश्वमेघ कराते समय अपने दामाद भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया था, पार्वती जब अपने पति शिवजी के मना करने के बाद भी अपने पिता दक्ष के यहां पहुंची और उन्होंने वहां देखा उनके पति भगवान शंकर का स्थान अन्य देवताओं के साथ नहीं है तब वे क्रोधाग्नि में जली और अपने शरीर की आहुति दे दी। भगवान शंकर इस बात से अत्यंत दुखी हुए और अमर्दक नाम की एक विशाल झील के तट पर आकर रहने लगे, भगवान शंकर ने यहां पर अपने शरीर को भस्म कर डाला, कुछ समय बाद वनवासी पांडवों ने उस अमर्दक झील के परिसर में अपना आश्रम बनाया, उनकी गाय पानी पीने के लिए झील पर आती थी, पानी पीने के उपरांत वे अपने स्तन से दुग्ध धाराएं बहाकर झील में अर्पित करती थी।

पं. विनोद दुबे ने कहा कि एक दिन भीम ने यह चमत्कार देखा और अपने बड़े भाई धर्मराज युधिष्टिर को सारा वृतांत बताया तब धर्मराज युधिष्टिर ने कहा कि निश्चित ही कोई दिव्य देवता निवास कर रहा है फिर पाण्डवों ने झील का पानी हटाना शुरू किया झील के मध्य में पानी इतना गर्म था कि वह उबल रहा था तब भीम ने हाथ में गदा लेकर झील के पानी पर तीन बार प्रहार किया, तब पानी तत्काल हट गया उसी समय पानी की जगह भीतर से खून की धाराएं निकलने लगी एवं भगवान शंकर का दिव्य ज्योर्तिलिंग झील की तलहटी पर दिखाई दिया जिसे नागेश्वर ज्योर्तिलिंग के रूप में स्थापित किया। आज भी लाखों श्रद्धालु नागेश्वर ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने यहां पर आते है। ज्योर्तिलिंग पूजन में प्रतिदिन सात पवित्र नदियों का जल एवं अरब सागर का जल अभिषेक हेतु आ रहा है। आचार्य सत्येन्द्र पांडे एवं पीयूष पांडे पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।

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