इटारसी। फसल एक ब्रह्म गुरु है, उससे निकलने वाले अनाज में पारब्रह्म का वास है, जो संसार के समस्त जीव को जीवन देता है। फसल की नरवाई से गौवंश का आहार बनता है, इसलिए फ़सल नरवाई को जलाना पारब्रह्म का अपमान है। उक्त ज्ञान पूर्ण उद्गार संत महावीर दास जी ब्रह्मचारी ने ग्राम सोनतलाई (Village Sontalai) में व्यक्त किए।
चैत्र नवरात्रि में सोनतलाई में श्री शतचंडी महायज्ञ (Shri Shatchandi Mahayagya) एवं श्री राम कथा समारोह (Shri Ram Katha Ceremony) के व्यास मंच से परीक्षा धाम पीठाधीश्वर महावीर दास ने फसल व नरवाई की आगजनी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ जनमानस लोभ में आकर अपनी फसल निकालने के बाद गौ आहार रूपी नरवाई को अग्नि देव के सुपुर्द कर रहे हैं, जिसके कारण अन्य किसानों की फसल भी जल रही है। फसल को धर्म शास्त्रों में ब्रह्म गुरु माना गया है। अत: उसे जलाना ब्रहम गुरु के साथ ही धर्मशास्त्र का भी अपमान होता है।
अगर ऐसा ही होता रहा तो ब्रहम गुरु के श्राप से एक दिन हम सबको अकाल का सामना भी करना पड़ सकता है। इसी प्रसंग को छतरपुर के राघवेंद्र रामायणी, बनारस (Banaras) के चेतन कृष्ण, चित्रकूट की सुमन मानस एवं सिंगरौली की मानस कोकिला शिरोमणि दुबे ने भी अपनी-अपनी वाणी में विस्तार देते हुए कहा कि अन्य पवन देव, जलदेव एवं अग्नि देव का अपमान स्वयं परमात्मा श्री राम का अपमान है। अत: समस्त किसानों को चाहिए कि बगैर लोभ के उतना ही अनाज उत्पादन करें जितने में अपनी आजीविका चल सके। चतुर्थ दिवस की कथा के प्रारंभ में समस्त क्षेत्रवासियों की ओर से कायक्रम संयोजक पं. राजीव दीवान ने प्रवचन कर्ताओं का स्वागत किया।