रविवार, सितम्बर 8, 2024

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बीओटी कॉम्पलेक्स का ढांचा अनुपयोगी और क्षतिग्रस्त है

नजूल की आपत्ति के कारण 2006-07 में रोका था निर्माण कार्य

इटारसी। मौलाना आज़ाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, भोपाल ने बीओटी काम्पलेक्स के वर्तमान ढांचे को अनुपयोगी और क्षतिग्रस्त घोषित किया था। इसके निर्माण के दौरान नजूल की आपत्ति के कारण वर्ष 2006-07 में निर्माण कार्य रोक दिया था। यह कब तक बनेगा, इसकी समय सीमा बताना संभव नहीं है।

यह जवाब विधानसभा में विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा के सवाल पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने दिया है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित भवन का निर्माण 32000 वर्गफुट में होना है, जिसमें से 28000 वर्गफुट भूमि नजूल की है, जिसकी अनापत्ति नजूल से नहीं मिली है। एमएसीटी भोपाल (मैनिट) के तकनीकी जांच दल ने उक्त ढांचे को अनुपयोगी एवं क्षतिग्रस्त होने की रिपोर्ट भी दी है। इसका निर्माण कब तक होगा, इसकी समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

ये सवाल पूछे थे विधायक ने

विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा ने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री पूछा था कि क्या यह सच है कि नर्मदापुरम जिले की नगर पालिका इटारसी के भवन को तोड़कर बीओटी कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना के तहत भवन को तोड़कर खुदाई प्रारंभ की गयी थी, जिसका कार्य किन कारणों से कब रोक दिया गया था?,

क्या उक्त नगरपालिका भवन परिसर में 15-20 फुट गहरा गड्ढे में हमेशा पानी भरा होने के कारण कभी भी कोई जनहानि हो सकती है?, क्या एमएसीटी भोपाल के तकनीकी जांच दल द्वारा उक्त भवन अनुपयोगी और क्षतिग्रस्त पाया था?, उक्त भूमि पर बीओटी कॉम्पलेक्स का निर्माण प्रारंभ हो सकेगा यदि हां, तो कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?

ये मिला मंत्री से जवाब

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि नगर पालिका परिषद इटारसी के भवन को तोड़कर बीओटी कॉम्प्लेक्स बनाने हेतु निविदा प्रक्रिया पूर्ण की गई थी। लगभग 32000 वर्गफीट भूमि में कॉम्प्लेक्स का निर्माण कार्य होना था।

निविदा प्रक्रिया उपरांत संबंधित ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य प्रारंभ कर बेसमेंट की खुदाई फाउंडेशन एवं कॉलम का निर्माण कार्य किया गया था, किन्तु राजस्व विभाग (नजूल) द्वारा आपत्ति के उपरांत वर्ष 2006-07 में कॉम्प्लेक्स निर्माण कार्य रोक दिया गया। जनहानि के खतरे को देखते हुए उक्त स्थल पर सुरक्षा हेतु तार फैंसिंग की गई एवं समय-समय पर कॉम्प्लेक्स में भरे हुए पानी को खाली कराया जाता है।

एमएसीटी भोपाल (मैनिट) के तकनीकी जांच दल ने उक्त ढांचे को अनुपयोगी एवं क्षतिग्रस्त होने की रिपोर्ट भी दी है।

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