विशाल गुरू खो गया है सूर्य की चकाचौंध में

Post by: Rohit Nage

इटारसी। विवाह कार्यक्रमों पर लगे विराम के बारे में कारण गुरू का अस्त होने की मान्यता है। लेकिन कोई ग्रह अस्त या उदित हो यह खगोल विज्ञान की दृष्टि से क्या होता है, इसे बताने नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू (National Award winning science broadcaster Sarika Gharu) ने गुरूज्ञान कार्यक्रम का आयोजन किया।सारिका ने बताया कि सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते रहने के कारण पृथ्वी से देखने पर आकाश में इस समय जहां सूर्य दिख रहा है उसके ही आसपास सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह जुपिटर (Jupiter) गुरू भी आ गया है। सूर्य की चकाचौंध में यह खो गया है। इस कारण लगभग 1 माह तक इसे अलग से देखा नहीं जा सकेगा। सारिका ने बताया कि सूर्य में खो जाने की इस बेला में 5 मार्च को शाम 7 बजकर 25 मिनिट पर सूर्य और जुपिटर के बीच केवल 0,58 डिग्री (Degree) का अंतर रह जायेगा। इस समय यह पृथ्वी से साल की सबसे अधिक दूरी 89 करोड़ किमी से अधिक पर होगा। अगर इसे देखा जा सकता तो सबसे अधिक दूरी पर होने के कारण छोटे और कमजोर रूप में दिखता। इसका व्यास 32,3 आर्कसेक (ArcSec) दिखता।
लगभग 30 दिन बाद जब पृथ्वी कुछ आगे बढ़ जायेगी तब यहां से देखने पर जुपिटर की सूर्य से अलगाव की स्थिति बनेगी और तब सुबह सबरे सूर्य उगने के कुछ देर पहले यह दिखना आरंभ हो जायेगा। इसे गुरू का उदित होना कहा जाता है। धीरे-धीरे इसके आकाश में रहने का समय बढ़ता जायेगा। इस तरह किसी ग्रह का उदित या अस्त होना सूर्य की परिक्रमा करते रहने के कारण होने वाली एक निरन्तर होने वाली खगोलीय घटना है और जब सामना चमचमाते सूर्य से हो विशाल जुपिटर भी जवाब दे जाता है।

Leave a Comment

error: Content is protected !!