परीक्षा के नम्बरों का जीवनकाल होता है बहुत कम, विज्ञान को किताब का चैप्टर न समझें, ये जिंदगी का हिस्सा है

Post by: Rohit Nage

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  • – विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर द्वारा साईं फाच्र्यून सिटी में आयोजित साइंस कैम्प का समापन
  • – वैज्ञानिक सोच की अखंड ज्योति जलाने शासन, प्रशासन तथा समाज को आगे आने आवश्यकता : राजेश पाराशर

इटारसी। एक्जाम (Exam) के नंबरों का जीवनकाल बहुत छोटा होता है। थोड़े समय के लिए वे खुशी देते हैं। आपके सोचने और करते हुये आपका अपना कॉन्ट्रीब्यूशन (Contribution) बाकियों से अलग नहीं होगा, तब तक सफल लोग आपसे नहीं मिलेंगे। आपके अंदर कुछ अलग होना चाहिए। इसके लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण का होना जरूरी है। इस संदेश के साथ राजेश पाराशर (Rajesh Parashar) द्वारा आयोजित सांई फाच्र्यून साइंस कैंप (Sai Fortune Science Camp) का समापन हुआ ।

नेहरू साइंस सेंटर (Nehru Science Centre) के पूर्व अधिकारी व्हीबी रायगांवकर (VB Raigaonkar) ने सीवी रमन का उदाहरण देते हुये स्वतंत्र भारत में फिजिक्स में नोबल सम्मान मिलने में युवाओं और बच्चों को प्रेरित किया। विज्ञान महर्षि सम्मान से सम्मानित नागपुर (Nagpur) के सुरेश अग्रवाल (Suresh Agarwal) ने प्रयोगों के माध्यम से बताया कि प्रकृति में प्रत्येक घटना के पीछे विज्ञान के सिद्धांत होते हैं, इसलिये तथाकथित चमत्कारों से भ्रमित नहीं होना चाहिये। प्रयागराज (Prayagraj) से आये डॉ ओपी गुप्ता (Dr OP Gupta) ने बच्चों को प्रयोग स्वयं कर कर देखने की सलाह दी। केवल यूट्यूब (YouTube) पर वीडियो देखने और स्वयं करके देखने में बहुत फर्क होता है।

बागवानी विशेषज्ञ एस महालहा (S Mahalaha) ने प्रयोग करके बडिंग, ग्राफ्टिंग करके दिखाया और बच्चों को उनके किचन गार्डन में आकर्षक फूल एवं फल के पौधे लगाने को कहा। राजेश पाराशर ने कहा कि वैज्ञानिक कार्यक्रमों में समाज के साथ शासन एवं प्रशासन का उदासीन व्यवहार से कार्यक्रमों को गति नहीं मिल पाती है। विज्ञान को केवल राजधानी के पहुंच वालों तक सीमित कर दिया है। कस्बों एवं नगरों में इस अमृत काल में भी किसी वैज्ञानिक गतिविधियों के लिये उचित मंच नहीं होता है। राजेश पाराशर ने मीडिया के प्रति विशेष आभार व्यक्त करते हुये कहा कि लाखों लोगों तक विज्ञान का संदेश पहुंचाने में उनका साथ आशा से अधिक बढ़कर है। कैंप गतिविधियों में बीबी गांधी (BB Gandhi), केएस तोमर (KS Tomar), अनिल सिंह (Anil Singh) ने उपस्थित रहकर सहयोग किया। कैंप का समन्वयन एमएस नरवरिया (MS Narwaria) ने किया। हरीश चौधरी (Harish Choudhary) ने प्रायोगिक सहयोग किया।

ये बोले बच्चे

इस कार्यक्रम से हमारा विज्ञान से डर समाप्त हुआ है ।

शानवी चौरे

प्रेक्टिकल करे, समझने से विज्ञान हमें अब सरल लगने लगा है।

क्षितिज गुप्ता

इस चार दिवसीय कैंप से हमारी छुटिटयों में हर समय कुछ नये प्रयोग करने का रोचक अवसर मिला है।

शौर्य सिंह

इस प्रकार के कैंप के बाद हम घर जाकर सीखे गये प्रयोगों को खुद बनाकर अन्य लोगों को दिखा रहे हैं। मोबाइल से हमारी दूरी बढ़कर प्रयोगों से नजदीकी बढ़ी है।

विभु लवानिया

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