महोदय ,
नर्मदांचल की साहित्यिक विरासत समृद्ध रही है । भवानीप्रसाद मिश्र , माखनलाल चतुर्वेदी , हरिशंकर परसाई से लेकर डॉ विनय दुबे तक कितने ही नाम हैं जो साहित्य की आकाशगंगा में जाज्वल्यमान नक्षत्र की तरह चमक रहे हैं । इनसे अलग एक नाम और है जिसे ध्रुव तारे की भांति आभा बिखेरते हुए हम हमेशा से देखते आ रहे हैं । वह नाम है गीतों के राजकुमार बालकृष्ण जोशी ‘विपिन’ का । इटारसी के परिपेक्ष्य में यदि हम देखें तो विनयकुमार भारती , महेश प्रसाद भारती , नत्थूसिंह चौहान , गिरीश सिलारपुरिया , डॉ कश्मीर सिंह उप्पल , दिनेश द्विवेदी , ओम भारती , सनत मिश्र , डॉ श्रीराम निवारिया, सुधांशु मिश्र तक यह परंपरा चली आ रही है । … और अगर हम विपिन परंपरा की बात करें तो उसमें नत्थूसिंह चौहान , दिनेश द्विवेदी को शामिल किया जाना वाजिब होगा । बीच में रामकिशोर नाविक का नाम जोड़ना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है क्योंकि मूलतः वे राजगढ़ के हैं । उसके बाद रामकिशोर नाविक सीहोर से जुड़े रहे । आज भी जुड़े हुए हैं । रही ‘ख्याति प्राप्त’ कवि राजेन्द्र मालवीय की बात तो वे हास्य व्यंग्य कवि हैं । दूसरे राजेन्द्र मालवीय उपरोक्त कवियों की तुलना में काफी कमजोर कवि हैं । और तो और हास्य व्यंग्य के क्षेत्र में तो वे बी के पटेल के आगे भी कहीं नहीं ठहरते । वैसे भी राजेन्द्र मालवीय अपने नाम के आगे कभी मुंबई लगा लेते हैं तो कभी झुमरी तलैया । चलिए छोड़िए । झुमरी तलैया तो मैं हास परिहास में कह रहा हूं । हालांकि वे नाम की खातिर ऐसा भी कर सकते हैं । बी के पटेल की बात निकली है तो वे बहिर्मुखी प्रतिभा के धनी हैं । गद्य तथा पद्य दोनों पर उनका समान अधिकार है । उन्होंने यदि कविताएं लिखी हैं तो कहानियां भी लिखी हैं । व्यंग्य लेख भी लिखे हैं । हां इतना अवश्य है कि बी के पटेल मूलतः कवि हैं । पिछले दिनों उनका एक गज़ल संग्रह भी आया है । सबसे बड़ी बात तो ये है कि वे अध्ययनशील हैं । इटारसी में कुछ शख्सियत ऐसी भी रहीं जिनका साहित्य के प्रति समर्पण काबिल-ए-तारीफ रहा । इनमें डॉ चन्द्रकान्त शास्त्री राजहंस , गोपाल सिंह खालसा दर्द , कृष्णमुरारी शर्मा , चांदमल चांद , बद्रीप्रसाद वर्मा , सुरजीत जख्मी के नाम प्रमुखता के साथ लिये जा सकते हैं । खैर । इधर कुछ लोग हैं कि इटारसी शहर को जबरन राजेन्द्र भाई पर लाद रहे हैं । उल्लेखनीय है कि इस शहर में आयोजित एक कवि सम्मेलन के मंच पर स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है ‘राजेंद्र मालवीय के शहर में’ । दोस्तो इटारसी शहर किसी की बपौती नहीं है । ये विपिन जोशी का शहर है । … और हमेशा रहेगा ।
विनोद कुशवाहा
एल आई जी / 85
प्रियदर्शिनी कॉलोनी
इटारसी .
96445 43026