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फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा, छह माह में फांसी की मांग

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आदिवासियों ने नेमावर घटना पर दिया ज्ञापन

रीतेश राठौर, केसला। मप्र के देवास जिले के नेमावर में एक गरीब परिवार के पांच सदस्यों की जघन्य हत्या की जांच सीबीआई (CBI) से कराने और दोषियों को फांसी की सजा दिलाने की मांग लेकर आदिवासियों के संगठन लगातार प्रदेशभर में ज्ञापन दे रहे हैं। आदिवासी विकासखंड केसला में भी राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन थाना प्रभारी के मार्फत प्रेषित किया गया। इस अवसर पर आदिवासी कोरकू कल्याण समिति के केसला ब्लाक अध्यक्ष शिवराम कलमे, जिलाध्यक्ष दुर्गेश धुर्वे, दिनेश कलमे, रामनारायण कासदे, चंद्रगोपाल कासदे, जगदीप, राजकुमार सहित बड़ी संख्या में आदिवासी महिला-पुरुष केसला थाने जुलूस लेकर पहुंचे थे।
आदिवासियों ने बताया कि 13 मई से एक ही परिवार के पांच लोग लापता थे और 17 मई को उनके परिवार ने उनकी गुमशुदगी दर्ज करायी थी। 47 दिन बाद घटना का पर्दाफाश हुआ जिसमें पांच सदस्यों की निर्ममतापूर्वक हत्या कर खेत में करीब दस फुट गहरे गड्ढे में उनको दफन कर दिया था। परिजन और ग्रामीण बार-बार पुलिस के आला अधिकारियों को नाम बता रहे हैं कि उसे गिरफ्तार कीजिए खुलासा हो जाएगा। आरोपी मृतक युवती का मोबाइल उपयोग करके परिवारजनों को भ्रमित कर रहा था। लोकेशन के आधार पर समय पर भी गिरफ्तार किया जा सकता था। लेकिन, पुलिस ने इसे नजरअंदाज किया। ग्रामीणों ने कहा कि पूरे मामले में आरोपियों को प्रशासन और राजनैतिक लोगों का संरक्षण मिल रहा था। जानबूझकर आरोपियों को गिरफ्तार न करना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है। आदिवासी समन्वय मंच ने इस जघन्य हत्यांाकड की जांच सीबीआई से कराने की मांग की ताकि साक्ष्य छुपाने वाले व सहभागी लोगों के नाम एवं वास्तविक स्थिति सामने आ सके।

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ये भी मांग की
– एससी/एसटी एक्ट की धाराओं व नियमों का पालन कर उन सभी को आरोपी बनायें जो इसमें शामिल हैं, जिन्होंने सहयोग दिया और आरोपियों को बचाने का प्रयास किया।
– एसपी, एएसपी, नेमावर थाने के समस्त पुलिस कर्मियों को तत्काल निलंबित किया जाए। मृतक लड़कियों के शवों पर वस्त्र नहीं पाये गये अत: आरेापियों पर अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं पर मामला दर्ज हो।
– फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रकण चलाया जाए और छह माह के भीतर दोषियों को फांसी दी जाए। आरोपियों को कन्नौद जेल की जगह इंदौर सेंट्रल जेल में रखें, प्रकरण की पैरवी के लिए मप्र शासन वकील नियुक्त करे और शासन खर्च वहन करे। पीडि़त परिवार को सुरक्षा मिले और तीनों सदस्यों को सुरक्षित स्थान पर आवास गृह मिले। उनको शासकीय नौकरी मिले और सहायता राशि एक करोड़ के हिसाब से मुआवजा राशि मिले।

 

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