जंगल में मुरम उत्खनन के साथ उखाड़ डाले पेड़

Post by: Poonam Soni

इटारसी। सतपुड़ा (Satpura) के जंगलों से सोना निकाला जा रहा है। जी हां! यह सोना धातु नहीं बल्कि मुरम के रूप में निकल रहा है और खनन से ऐसे लोगों की जिंदगी सुनहरी बना रहा है। खनन करने वाले यहां न सिर्फ मुरम का उत्खनन (Muram Utkhanan) कर रहे बल्कि वर्षों पुराने विशालकाय पेड़ों को भी जमींदोज कर रहे हैं। बावजूद इसके जंगलों में ड्यूटी करने वाले अधिकारियों को यह दिखाई नहीं दे रहा है। वन विभाग इसे राजस्व क्षेत्र का मामला बता रहा है। वन विभाग (Forest Department) के आला अफसरों का कहना है कि नजरपुर बीट में जहां उत्खनन हो रहा है, उनके हिस्से में नहीं बल्कि राजस्व क्षेत्र में है। जिम्मेदार चुप हैं, जंगलों से मुरम का उत्खनन भी जारी है। खसरा नंबर 66, रकबा 0.405 पर इटारसी का व्यक्ति कमल भारद्वाज मुरम का उत्खनन धड़ल्ले से कर रहा है। हर रोज जेसीबी (JCB) से मुरम का उत्खनन करके डंपरों से जंगल से बाहर लाकर बेची जा रही है। यह ऐसा काम नहीं है, जो चोरी छिपे किया जा सकता हो, लेकिन यहां खुला खेल चलने के बावजूद अधिकारी आंखें बंद करके बैठे हैं।

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पूर्व में लग चुका है करोड़ों का जुर्माना
इटारसी के इस खनन माफिया (mining mafia) पर पूर्व में अवैध उत्खनन (Illegal mining) मामले में करोड़ों रुपए का जुर्माना शासन ने लगाया था, इसके बावजूद उसके यह कार्य नहीं रुके। दिन और रात जंगलों में जेसीबी और पोकलेन मशीन का पंजा मुरम निकाल रहा है और डंपरों की आवाजाही चल रही है। बड़ा सवाल यह है कि अधिकारियों को यह सब दिखाई क्यों नहीं दे रहा है। या फिर किसी कारण से उनके हाथ बंधे हैं। इसे मिलीभगत कहें या फिर उच्च स्तर तक सेटिंग का कमाल? इतने धड़ल्ले से सबकुछ चलने के बावजूद वनों को बर्बाद करने पर तुले हैं। लेकिन, इनके पेट इतने बड़े हो गये हैं कि सरकारी तनख्वाह से नहीं भरते, पेट भरने के लिए खनन माफियाओं के आगे इनको नतमस्तक होना ही पड़ता है।

शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं
शहर के पीके तिवारी ने डीएफओ को वन क्षेत्र में अवैध उत्खनन की शिकायत कर इसे रोकने की मांग की है। बताया जाता है कि स्वीकृत स्थान के अतिरिक्त मुरम खनन का कार्य किया जा रहा है। जो फोटोग्राफ्स और वीडियो हमारे पास हैं, उसमें बड़े-बड़े पेड़ भी कटे पड़े हैं और खनन के कारण कुछ अन्य पेड़ भी गिरने की कगार पर हैं। जहां उत्खनन चल रहा है, वहां पास ही रेलवे लाइन भी गुजरती है, ऐसे में कभी हादसा हो तो जिम्मेदार कौन होगा? उत्खननकर्ता को एनओसी जारी की है तो इसकी जांच उच्च स्तर पर करनी चाहिए ताकि पता चले कि आखिर एनओसी क्या दी है और मौके पर क्या किया जा रहा है? ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि वन और पर्यावरण की हानि को रोका जा सके।

इनका कहना है…
जहां उत्खनन बताया जा रहा है, वह राजस्व क्षेत्र में आता है, जहां हम लोग कार्रवाई नहीं कर सकते। जिस खसरा नंबर का जिक्र है, वहां एक हेक्टेयर में खदान स्वीकृत है, हालांकि हम तहसीलदार को लिख रहे हैं कि स्थान चिह्नित करके बताएं कि कौन सा रकबा खनन के लिए स्वीकृत किया है। हम भी मौके पर जाकर जांच करेंगे।
जयदीप शर्मा (Jaideep Sharma, Ranger Itarsi)

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