इटारसी। डेढ़ दशक से भी अधिक समय से शहर में बदरंग दाग लगाता बीओटी काम्पलेक्स को नगर पालिका ने उपेक्षित छोड़ दिया है। इस स्थान पर दुर्घटना होना आम बात है, क्योंकि सुरक्षा के दाम पर नगर पालिका ने तार की फैंसिंग कराके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि नगर पालिका यहां भरा बारिश का पानी तक निकाल पाले में अपने को असमर्थ साबित कर रही है। इस पानी में एक बार एक शव मिल चुका है, यह पानी रविशंकर शुक्ल मार्केट के दुकानदारों की परेशानी का सबब बना है तो यहां मच्छरों के अलावा कई जीव-जंतु भी पल रहे हैं।
नगर पालिका ने यहां केवल तार की फैंसिंग की है, लेकिन कई जगह से सामाजिक मान्यताओं के वितरीत काम करने वालों ने तार काट दिये हैं और रात के अंधेरे में इस जगह पर नशे के शौकीनों की महफिल भी जमती है। पिछले वर्ष मार्च माह में यहां गोरखपुर के एक व्यक्ति की हत्या भी हो चुकी है। कई बरस पूर्व नगर पालिका ने यहां मोटर पंप लगाकर पानी निकाला था, इसके बाद से आज तक यहां दूसरी बार पानी निकालने के प्रयास नहीं हुए और ना ही इसके बेसमेंट को बंद किया गया है। यदि बेसमेंट को बंद ही कर दिया जाए तो पानी भरने की समस्या से भी मुक्ति मिल सकती है।
तीन वर्ष से है कार्रवाई की प्रतीक्षा
सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट प्रमोद पगारे ने 10 जून 2021 को इटारसी के अनुविभागीय दंडाधिकारी के यहां भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 के अंतर्गत एक आवेदन प्रस्तुत कर अनुरोध किया था कि नगर पालिका परिषद इटारसी के विरुद्ध धारा 133 का प्रकरण पंजीबद्ध किया जाए। पगारे ने आवेदन में आरोप लगाया था कि रेलवे स्टेशन से ओवरब्रिज की ओर जाने वाले मार्ग पर 2 स्थान ऐसे हैं, जो नगर पालिका की लापरवाही के कारण मानव जीवन के लिए संकट पैदा कर रहे हैं। उसमें सबसे पहले नगरपालिका का पुराना भवन जहां बीओटी काम्प्लेक्स बनना था। वहां अधूरे निर्माण कार्य के कारण तालाब की स्थिति बन गई है। पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
नगर पालिका ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। वहीं दूसरी ओर पुलिस थाने के बाजू में अधूरे पड़े भवन में छोटा तालाब बन गया है। वहां भी पूर्व में मृत्यु जैसी घटना हो चुकी है। बीओटी काम्प्लेक्स वाला स्थान एवं तिलक मार्केट वाला स्थान जहां अधूरे निर्माण कार्य हुए हैं। इन दोनों स्थानों को मिट्टी, मुरम, मलवा से तत्काल पुरनी करवाई जाए ताकि किसी बड़ी दुर्घटना से बचा जा सके। तीन वर्ष गुजर गये, न तो एसडीएम कार्यालय से नगर पालिका को कोई आदेश हुए और ना ही नगर पालिका ने संज्ञान लेकर कोई काम किया। जाहिर है, नगर पालिका के अधिकारी लापरवाही की हद से गुजर गये हैं, अब तो परिषद के कई जुझारू माने जाने वाले जनप्रतिनिधि भी इसकी पूरी तरह से अनदेखी करके केवल पिछलग्गू की भूमिका में हैं, जबकि विपक्ष के नाम पर एक बड़ा सा शून्य है।
इनका कहना है…
हमने एक बार उसमें सुरक्षा की दृष्टि से काम करने का प्रयास किया था, लेकिन बिल्डर ने पुलिस थाने में आवेदन दे दिया कि मामला उच्च न्यायालय में होने के बावजूद नगर पालिका इसमें काम कर रही है, ऐसे में हमको काम रोकना पड़ा। जहां तक पानी भरा होने वाली बात है तो हम पंप लगवाकर पानी निकलवा देते हैं।
पंकज चौरे, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद
पूर्व में इसमें सुरक्षा की दृष्टि से तार की फैंसिंग की थी, लेकिन कतिपय तत्वों ने उसे जगह-जगह से तोड़ दी है। मलबा भरने की बात है तो हम मामला कोर्ट में होने से कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं, पानी निकाल सकते हैं, लेकिन वह अस्थायी हल होगा, क्योंकि बारिश में पानी फिर भर जाएगा। देखते हैं, इसमें हम क्या कर सकते हैं, जो जो सकता है, वह किया जाएगा।
ऋतु मेहरा, सीएमओ