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बहुत याद आयेंगे, गीत विनोद निगम के

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  • पंकज पटेरिया
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पुण्य सलिला मां नर्मदा की गोद में बसा नर्मदापुरम में अर्ध सदी से निवासरत, बाराबंकी उत्तर प्रदेश में जन्मे मेरे प्रिय सुप्रसिद्ध नव गीतकार विनोद निगम चिर निंद्रा में लीन हो गए हैं। वे करीब 79 वर्ष के थे और उन्होंने विवाह नहीं किया था। बाराबंकी से अपने अध्ययन काल में इधर अपने ननिहाल डॉक्टर निगम साहब के यहां वे आए थे और फिर यहीं के हो गए। हालांकि अपने गृह नगर बाराबंकी तीज त्योहार पर जाते तो रहते थे, पर उन्हें नर्मदापुर से इतना लगाव था कि उन्होंने एक गीत भावनापूर्वक ऐसा रचा था, प्रभु जाना न पड़े होशंगाबाद से। अंतत: जन्म अवध में लिया और अंतिम सास मां रेवा के चरणों में।

मेरे प्रिय मित्र समकालीन साहित्यकार विशुद्ध रूप से गीत धर्मी का हाल ही में प्रकाशित उनका अंतिम संकलन का नाम ही था, मैं जो भी हूं बस गीत गीत हूं। भले वे गीत गाते नहीं थे, पर उनकी प्रस्तुति में भी जो रिदम थी, अत्यंत मोहक होती थी। यह वजह थी कि उनके गीत लोगों को पसंद थे और लोग उन्हें गुनगुनाते रहते थे। विनोद भाई ही थे जिनकी वजह से साल में एक दो बार यहां साहित्य उत्सव किसी ना किसी बहाने संपन्न होते थे।

कुछ वर्ष पूर्व नर्मदा पुरम में उनके 50 वर्ष पूरे होने पर उन्होंने एक आत्मीय कार्यक्रम शासकीय कन्या शाला में आयोजित किया था। बड़ी संख्या में उनका मित्र परिवार शामिल होकर हर्ष विभोर हुआ था। मैंने उन पर उनके ही मीटर पर एक गीत विनोद निगम के, और एक गजल लिखी थी। स्नेह भाव से अक्सर वह गीत फेसबुक पर डालकर मुझे याद करते थे। सचमुच ऐसे गीत पुरुष थे जिनके कारण नर्मदा अंचल की शिराओं में साहित्य धारा सदा प्रवाह बहती रहती थी। कीर्ति शेष कवि को सादर नमन करते हुए वह गीत उन्हें अर्पित है।

गीत विनोद निगम के

हर खुशी के, गम के, हर रंग ढंग के
बेहद अपनेपन के,
गीत विनोद निगम के।
संत्रास के तनाव के,
विषमता अभाव के
कोशा कांजीवरम के,
खादी या रेशम के,
हर दम खम,
गीत विनोद निगम के।
मान और मनुहार के,
मिलन विरह श्रृंगार के,
गांव शहर बाजार के,
कोलाहल भीलवाड़ा के
नितांत अकेलेपन के,
गीत विनोद निगम के।
पहले मूड मस्ती की ड्रेस
घूमते गोपी जी संग संग
देश परदेश,
हर मौसम हर रंग के,
गीत विनोद निगम के।
बाराबंकी खुमार के,
इकरार के इजहार के,
हर दिन त्योहार के,
लखनवी चिलमन के,
गीत विनोद निगम के।
नयन पथ में चित्रवत तैरते
कानों में मधुरस घोलते,
यादों में बज उठते, छम से,
गीत विनोद निगम के।

पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार कवि
भोपाल

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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