इटारसी। अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में राजनारायण स्मृति कार्यालय (आम का बगीचा) केसला में महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें एक दर्जन गाँव से महिलाओं उपस्थिति रही। महिलाओं के द्वारा महिला सम्मान व समाज में व्याप्त गैर-बराबरी(भेदभाव),नशा व आत्मनिर्भर,स्वरोजगार, शिक्षा संबंधित विषयों पर गंभीरता पूर्वक चर्चा कर महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। चर्चाओं में गाँव, समाज में अनाथ बच्चे (बालक-बालिका) की शिक्षा एवं जरूरी दस्तावेज कैंसे बनवाया जाये, पर चर्चा की गई।
सतपुडा महिला संगठन की श्रीमति बिस्तोरीबाई के द्वारा महिला मुददों को सभा के बीच रखकर कहा गया कि न्याय व हक अधिकार के लिए घर हो या आँगन सडक हो या दफ्तर सबको संगठित होकर लडना ही पडेगा।श्रीमति विद्या मिश्रा ने कहा कि आज पूँजीवाद,बाजारवाद,के चलते महिलाओं की पारम्परिक संस्कृति पर जो हमला हो रहा है। उसको बचाने के लिए महिलाओं को आगे आना होगा विशेषकर महिलाओ को श्रीमति पूनम व शारदा,लक्ष्मी ने कहा बेरोजगारी,कुपोषण व गरीबी को दूर करने के लिये जल,जंगल,जमीन को बचाकर रखना होगा जिससे आनेवाली पीडियों के लिए।
नारी जागृति मंच की श्रीमति विद्या मिश्रा,श्रीमति हेमा,श्रीमति आशा, श्रीमति पुष्पा,तथा श्रीमति पूनम,श्रीमति ममता,श्रीमति अनिता,राधा मौसी श्रीमति शारदाबाई , व शाहपुर की पूर्व सरपंच लीलाबाई,संतरिया बाईआदि ने चर्चाओं मे भाग लिया।
आखरी विषय के रूप में विस्थापन से महिलाओं को होने वाली तकलीफों के बारे में चर्चा हुई। जिस पर सतपुडा महिला संगठन व नारी जागृति मंच तथा उपस्थित महिलाओं ने एक स्वर कहा कि विस्थापन देश में कहीं भी नहीं होना चाहिये। विस्थापन से कई मुश्किलों से जुझना पडता है।अगर विस्थापन होता भी है तो उसमें वैवाहिक महिलाओं को पात्रता दी जाये। जो शासन ने अपनी पुर्नवास नीति में शामिल नहीं किया है। जिससे वैवाहिक महिलाओं को हिस्सेदारी से वंचित होना पडता है।
सम्मेलन में उपस्थित महिलाओं ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि महिलाओं के नाम पर जो गालियाँ दी जाति है,उस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। इसकी शुरूआत हम घर परिवार व गाँव से करेंगे व लोगों को समझाईश देंगे। नशे के बढ़ते दुष्प्रभाव एवं शराब पीकर महिलाओं के साथ की गई मारपीट, नशे के कारण उजड़ते घरों एवं बच्चों पर नशे के हानिकारक प्रभावों की भी चर्चा की गई।