इटारसी। शुक्रवार 09 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप (Chandraghanta Swarup) की पूजा अराधना की जाएगी। इन्हें चंद्रघंटा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि मां के माथे पर घंटे के आकार में अर्धचंद्र है। मां का यह रूप बहुत शांतिदायक है। इनके पूजन से मन को शांति की प्राप्ति होती है। ये भक्त को निर्भय कर देती हैं। देवी का स्मरण जीवन का कल्याण करता है। दस भुजाएं त्रिशूल, खड्ग, गदा, धनुष जैसे विविध अस्त्र लिए हैं। इनका रंग उज्ज्वल है। इनसे स्वर्ण के समान आभा निकलती है, इसलिए जहां इनका आगमन होता है, वहां से अशुभता का अंधेरा दूर हो जाता है।
यह है इनकी पहचान
इनके तीन नेत्र, दस भुजाएं हैं। मां के इस रूप से भक्त के मन में साहस आ जाता है, क्योंकि ये सत्य की रक्षा के लिए सदैव युद्ध के लिए तैयार रहती हैं। इन्होंने कमल का पुष्प, कमंडल आदि शुभ चिह्न धारण किए हैं। वहीं, धनुष-बाण, खड्ग, तलवार, त्रिशूल व गदा भी धारण करती हैं। इन्होंने गले में श्वेत पुष्पों का हार पहना है। मां का वाहन सिंह है जो साहस व शक्ति का प्रतीक है। इनकी प्रसन्नता के लिए इन मंत्रों का पाठ करें-
इस दिन पहने ऐसे वस्त्र
पूजा की विधि मां को वाहन सिंह व सुनहरा रंग पसंद है। अत: इस दिन ऐसे ही वस्त्र पहनें। खीर, सफेद बर्फी या शहद का देवी मां को भोग लगाएं। इसके बाद स्तवन मंत्र: पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्र-कैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।। मंत्र का उच्चारण करें।