गर्भावस्था में किये जा सकते हैं योगासन, योग प्रशिक्षक ने बताये तरीके

Post by: Rohit Nage

इटारसी। शहर की योग प्रशिक्षक (Yoga Instructor) और योगा चैम्पियन (Yoga Champion) श्रुतुजा राहुल राखड़े (Shrutuja Rahul Rakhade) ने गर्भावस्था के दौरान योग करके गर्भवती महिलाओं को संदेश दिया है कि गर्भावस्था के दौरान भी योग किया जा सकता है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान कुछ आसन नहीं करना चाहिये और इस अवस्था में योग करने से पूर्व योग प्रशिक्षक से सलाह लेना चाहिए।

श्रुतुजा राहुल राखड़े ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन योगाभ्यास आपको तंदुरुस्त रखता है और प्रसव के दौरान मन व शरीर को भी केंद्रित रखने में भी मदद करता है। यह गर्भावस्था के दौरान आमतौर पर होने वाली समस्याएं जैसे कब्ज और उल्टी आने से भी बचाता है। प्रतिदिन योगासन करने से शरीर से तनाव निकलता है जिससे प्रसव आराम से होने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भाशय, गर्भाशय की नलिका और श्रोणि के हिस्से से तनाव निकल जाता है जिससे प्रसव में कोई दुविधा नहीं होती।

ये योगासन करने चाहिए

सुखासन, मार्जारिआसन, उज्जयी सांस के साथ वज्रासन, ताड़ासन, कोनासन, कोनासन, त्रिकोनासन, वीरभद्रासन, पश्चिमोत्तानासन, बद्धकोणासन, विपरीतकणी, शवासन।

गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम

उज्जै प्राणायाम, पूर्ण योगिक सांस, ब्राह्मरी प्राणायाम, योगनिद्रा, नाड़ी शोधन प्राणायाम, इन सभी प्राणायाम को करने के पश्चात आप कुछ समय ध्यान कर सकते हैं जो आपको पूरी तरह विश्राम देगा।

कुछ सावधानियां

गर्भावस्था के शुरूआती महीने में ऐसे आसन न करें जो मुश्किल हों और पेट के निचले हिस्से पर अधिक दबाव डालते हों। पहले तीन महीनों में खड़े रहने वाले कुछ योगासन करने चाहिए क्योंकि यह पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, शरीर में अच्छे से रक्त का संचार करते हैं, ऊर्जा प्रदान करते हैं और पैरों में होने वाली अकडऩ व सूजन को भी दूर करते हैं।

कुछ योगासन जो नहीं करने चाहिए

नौकासन, चक्रासन, अर्धमत्स्येंद्रासन, भुजंगासन, विपरीत शलभासन, हलासन। गर्भावस्था के दौरान योगाभ्यास की प्रक्रिया को आरंभ करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी भी योगा प्रशिक्षक की राय अवश्य लेना चाहिए।

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