---Advertisement---
City Center
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

अपमान सहन करना सम्मान से भी बड़ा : तिवारी

By
On:
Follow Us

इटारसी। संसार में जन को अगर मान सम्मान प्राप्त होता है, तो अपमान का भी सामना करना पड़ता है। जो अपमान को सरलता से सहन कर उसे अमृत के समान पी लेता है, समझो वह जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त कर लेता है। उक्त उद्गार आचार्य महेन्द्र तिवारी ने व्यक्त किये।
अमर ज्योति दुर्गा उत्सव समिति द्वारा नाला मोहल्ला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा समारोह के विश्राम दिवस में आचार्य श्री तिवारी ने भगवान श्रीकष्ण के 16 हजार 108 विवाहों को संक्षिप्त वर्णन करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण ने रानी रूकमणी, सत्यभामा, मित्रवृंदा, सत्या, जामवंती आदि सुकन्याओं से अपने प्रथम आठ विवाह में अनेक बार अपमानों को सहन कर उन्हें अमृत के समान श्रवण किया और उन अपमानों के बाद सबसे बड़ा सम्मान भी प्राप्त किया है। अत: जीवन में कर्मयोगी श्रीकृष्ण का यह अपमान प्रसंग भी हमें सहनशीलता का संदेश देता है। आचार्य महेन्द्र तिवारी ने सुदामा प्रसंग के द्वारा बताया कि जीवन में मित्रता बड़ा ही पारदर्शी संबंध होता है। इसमें कुछ भी छिपाना नहीं चाहिए और ना ही अपने मित्रों से कपट करना चाहिए, अन्यथा सुदामा जी के समान श्रापपूर्ण जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
कथा के समापन अवसर पर अमर ज्योति दुर्गा उत्सव समिति ने आचार्य महेन्द्र तिवारी का नागरिक अभिनंदन किया। मंच पर मौजूद सभी विद्वान ब्राह्मणों एवं भजनकारों का सम्मान संचालन समिति के प्रवक्ता गिरीश पटेल ने किया। इस अवसर पर हुए भंडारे में हजारों ाोताओं ने महाप्रसाद ग्रहण किया।

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement

Leave a Comment

error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.