इटारसी। इन दिनों मूंग फसल की लालच में किसान बिलकुल वैसा ही व्यवहार कर रहा है, जैसे शहर में कुछ लोग लॉक डाउन को तोडऩे में दिखा रहे हैं। गेहूं कटाई के बाद नरवाई नहीं जलाने को लेकर कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने जिला प्रशासन के साथ जो मुहिम चला रखी थी, उसे कुछ किसान भुलाकर लॉक डाउन के दौर में मनमानी पर उतारू हो गये हैं। लगभग डेढ़ माह की प्रशासनिक कवायद को किसान पलीता लगा रहे हैं और नरवाई जलाना शुरु कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि प्रशासन ने किसानों से नरवाई न जलाने के लिए कई बैठकें कीं और जिलेभर में अधिकारियों की नियुक्ति की जो किसानों को जागरुक बनायें। किसानों ने अधिकारियों को धोखा दिया है। मीटिंगों में नरवाई नहीं जलाने की शपथ के बावजूद जरा सा लालच उनको खुद के ईमान से डिगा रहा है। किसानों को नरवाई न जलाने व इससे होने वाले नुकसान के बारे में समझाया था जिसमें कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जितेन्द्र सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। लेकिन किसान आखिरकार नहीं माना। वर्तमान में कुछ किसानों का व्यवहार बिलकुल राज्य से द्रोह करने जैसा प्रतीत हो रहा है। तीसरी फसल को लेकर किसानों का यह व्यवहार कहीं आने वाले समय में नुकसान का सौदा न हो जाये। यदि यही हालात रहे तो हो सकता हो कि सरकार मूंग की बुवाई पर प्रतिबंध लगा दे, क्योंकि नरवाई जलाने पर प्रतिबंध और इसे अपराध घोषित करने के बावजूद कई किसान नहीं मान रहे हैं। ग्राम पर्दादेह के सरपंच कन्हैया लाल वर्मा ने बताया कि कुछ लोग मूंग की फसल के लिए अपने खेतों में खड़ी नरवाई को आग के हवाले कर रहे हैं। यद्यपि गेहूं की 90 से 95 फीसद कटाई हो चुकी है। लेकिन, यह आग बड़ा नुकसान करती है। इससे न सिर्फ गांवों तक फैलने का खतरा रहता है बल्कि इससे खेतों की उर्वरा शक्ति भी खत्म होती है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। जिस किसान के खेत में आग लगी हो और उसका खेत तैयार हुआ हो, ऐसे किसान के नाम से एफआईआर करके दंडात्मक कार्यवाही होना चाहिए।